Thursday, 29 December 2022

मुबारक हो नववर्ष का द्वार - हरी राम यादव

मुबारक हो नववर्ष का द्वार 

बढ़ें सभी साथ में मिलकर,नववर्ष के नवल उद्यान में।

गायें देश की गौरव गाथा,अपने देश के सम्मान में।

हो सूर्योदय सबके जीवन में,सबके जीवन में बहे बयार।

शिक्षा स्वास्थ्य के नव विहान से,नववर्ष में आये नव बहार

सबको सबका अधिकार मिले, कोई हो शोषित, पीड़ित।

कर्तव्य भी सबके पूरे हों,सर्वोपरि रहे सदा देश हित।।

सबको भर पेट मिले भोजन,कोई भूखा देश में सोए।

तंत्र की ग़लत नीतियों से,कोई बेबस होकर रोये।

धरा सुशोभित हो तरु से,मरु में भी हो खूब बरसात।

अपने सुख साधन के लिए, हो प्रकृति का उपहास।।

विष बेल बोल की फैले,कटुता का हो आविष्कार।

नव वर्ष में नयी सोच संग,मुबारक हो नववर्ष का द्वार।।

 

      - हरी राम यादव

        स्वतंत्र लेखक एवं कवि

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