नवल जोशी /अमर उजाला, चंपावत। Updated Fri, 15 Dec 2017 10:13 PM IST
लक्ष्मी देवी, शहीद प्रताप सिंह की धर्मपत्नी
पाकिस्तान के साथ 1971 में हुए युद्ध में कलीगांव के लांसनायक प्रताप सिंह ने अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन किया। 69 कुमाऊं आर्मी रेजीमेंट के जवान प्रताप सिंह ने महज 33 वर्ष की उम्र में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान किया, लेकिन शहीद की विधवा लक्ष्मी देवी (75) को अतिरिक्त सुविधाएं तो दूर, वन रैंक-वन पेंशन के लाभ के लिए भी भटकना पड़ रहा है।
15 दिसंबर 1971 को टैंक में विस्फोट होने से कलीगांव निवासी लांसनायक प्रताप सिंह शहीद हो गए थे। शहीद की पत्नी लक्ष्मी की उम्र तब महज 29 वर्ष की थी। उन्हें पति की शहादत की जानकारी सेना द्वारा कई हफ्ते बाद मिली। तबसे अब तक पूरे 46 साल तक इस वीरांगना ने अकेले दम पर परिवार की डोर संभाली। उनकी तीन बेटियां हैं।
सबसे बड़ी बेटी हीरा देवी मां लक्ष्मी देवी की सेवा के लिए अपने पति और परिवार सहित गांव में ही रहती हैं। लक्ष्मी देवी बताती हैं कि उन्हें शहादत की एवज में कुछ नहीं चाहिए, लेकिन उनका हक तो उन्हें मिलना ही चाहिए। सरकार ने वन रैंक-वन पेंशन का एलान करीब एक साल पहले किया, लेकिन इसके बावजूद अभी तक उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
वन रैंक-वन पेंशन के लिए विभागीय स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं। पेंशन से संबंधित शिकायत आने पर संबंधित रिकार्ड कार्यालय भेजा जाता है। जहां से मामले का निस्तारण किया जाता है।
- रि. कर्नल, वीएस थापा, जिला पूर्व सैनिक कल्याण अधिकारी।
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