Saturday, 22 March 2025

जो फना हो गए वतन के लिए - हरी राम यादव

 


    परतंत्रता उस बेबसी का वह नाम है जिसमें परतंत्र जीव के मन, आचार, विचार, व्यवहार, शिक्षा और संस्कृति पर कुठाराघात होता है, उसे परतंत्र बनाने वाले  के द्वारा तहस नहस करने का पूरा प्रयास किया जाता है और वह जीव खून का घूंट पीकर  रह जाता है और  खून का यह घूंट उस परतंत्र बनाने वाले  के  विनाश का कारण बनता है। खून के इस घूंट से उस जीव में से ऐसे  राष्ट्र नायकों का जन्म होता है जो स्वयं में एक विचार होते हैं और यह विचार पूरे समाज/ राष्ट्र को एक नयी दिशा देते हैं। लोग उस राष्ट्र नायक के पीछे चल पड़ते है और परतंत्र बनाने वाला अलग थलग पड़ जाता है और अंततः स्वतंत्रता उससे अलग होकर परतंत्र जीव /व्यक्ति या समाज के पास पहुँच जाती है ।  


    23 मार्च  1931, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की वह तारीख है जिस तारीख को  देश से ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले तीन महान क्रांतिकारियों सरदार भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों द्वारा फांसी दी गयी थी। सरदार भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर 08 अप्रैल 1929 को केन्द्रीय असेम्बली (पुराने संसद भवन) में एक ऐसे स्थान पर बम फेंका था जहां पर कोई मौजूद नहीं था। इन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाही के खिलाफ उसे चेतावनी देने के लिए यह कदम उठाया था। उनका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं था, वह केवल आतातायी अंग्रेजी हुकूमत को यह बताना चाहते थे कि हम आजादी को छीनकर लेने में भी सक्षम हैं। उन्होंने भागने की कोशिश नहीं की और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।  


     08 अप्रैल 1929 को गिरफ्तार होने से पूर्व उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन की अनेकों रैलियां और जन सभाओं में भाग लिया था। सन् 1920 में जब महात्मा गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया था उस समय सरदार भगत सिंह मात्र 13 वर्ष के थे और जब 1929 में उन्हें गिरफ्तार किया गया तब उनकी आयु महज 22 वर्ष थी। 13 अप्रैल 1919 को  जलियांवाला बाग नरसंहार ने सरदार भगत सिंह के मस्तिष्क पर गहरा असर डाला था और उसके बाद से ही वे देश की आजादी के सपने देखने लगे थे।


     जब भगत सिंह को फांसी पर चढ़ाया गया उस समय भगत सिंह महज 23 साल के थे। लेकिन उनके क्रांतिकारी विचार बहुत व्यापक और उच्च कोटि के थे।  उनके विचारों ने लाखों भारतीय युवाओं को आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरित किया। आज भी उनके विचार युवाओं का मार्गदर्शन करते हैं। इंकलाब का नारा बुलंद करने वाले भगत सिंह अपने आखिरी समय में भले ही अंग्रेजी हुकूमत की बेड़ियों में जकड़े थे लेकिन उनके विचार आजाद थे। वे कहते थे कि "बेहतर जिंदगी सिर्फ अपने तरीकों से जी जा सकती हैं। यह जिंदगी आपकी है और आपको तय करना है कि आपको जीवन में क्या करना है"। सरदार भगत सिंह कहा करते थे, मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है । 


     भगत सिंह जीवन के लक्ष्य को महत्व देते थे। उनका मानना था कि हमें अपने जीवन का लक्ष्य पता होना चाहिए। अगर हमें अपने लक्ष्य का पता होगा और हम अपने लक्ष्य को उद्देश्य बनाकर कार्य करेंगे तो हमें सफल होने से कोई ताकत नहीं रोक सकती है। वतन के लिए त्याग और बलिदान उनके लिए सर्वोपरि रहा। वे कहते थे कि एक सच्चा बलिदानी वही है जो जरुरत पड़ने पर सब कुछ त्याग दे। भगत सिंह स्वयं अपनी निजी जिंदगी से प्रेम करते थे, उनकी भी महत्वाकांक्षाएं थी, उनके अपने सपने थे। लेकिन वतन पर उन्होंने अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के जीवन से  यह सीख मिलती है कि अगर देश की आन, बान और शान के खिलाफ कोई ताकत खड़ी होती है तो हमें बल के साथ- साथ वैचारिक रूप से भी उसे कुचलने की आवश्यकता है, क्योंकि विचार कभी मरते नहीं है। 


     सरदार भगतसिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को गांव बंगा जिला लायलपुर (अब पाकिस्तान) में हुआ था।   उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने सरदार भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर सरदार भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिये नौजवान भारत सभा की स्थापना की । सन् 1922 में गोरखपुर के चौरी-चौरा हत्‍याकांड के बाद गांधीजी ने जब किसानों का साथ नहीं दिया तब भगत सिंह बहुत निराश हुए। उसके बाद उनका अहिंसा से विश्वास उठ गया । वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सशस्त्र क्रांति ही स्वतंत्रता दिलाने का एक मात्र रास्ता है। उसके बाद वह चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्‍व में  गदर दल का हिस्‍सा बन गए। काकोरी काण्ड में राम प्रसाद 'बिस्मिल' सहित 4 क्रान्तिकारियों को फाँसी तथा 16 अन्य लोगों के कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्वेलित हुए कि  चन्द्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गए और उसे एक नया नाम दिया "हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन"। इस संगठन का उद्देश्य सेवा, त्याग और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले नवयुवक तैयार करना था।


     सरदार भगतसिंह का विश्वास था कि उनकी शहादत से भारतीय जनता और उद्विग्न हो जायेगी और ऐसा उनके जिन्दा रहने से शायद ही हो पायेगा, इसी कारण उन्होंने मौत की सजा सुनाये जाने के बाद भी माफीनामा लिखने से साफ मना कर दिया था। 23 मार्च 1931 को शाम में करीब 07 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह तथा इनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को लाहौर जेल में फाँसी दे दी गई जबकि फांसी की तारीख एक दिन बाद की थी यानी कि 24 मार्च। फाँसी पर जाने से पहले वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे। जब उनसे उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने कहा कि वह लेनिन की जीवनी पढ़ रहे हैं  उन्हें वह पूरी करने का समय दिया जाए।  जेल के अधिकारियों ने जब उन्हें यह सूचना दी कि उनकी फाँसी का समय हो गया है तो उन्होंने कहा "ठहरिये! पहले एक क्रान्तिकारी दूसरे क्रान्तिकारी से मिल तो ले।" फिर एक मिनट बाद किताब छत की ओर उछाल कर बोले  "ठीक है अब चलो।"फाँसी पर जाते समय भी सरदार भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव मस्तमौला और निश्चिंत रहे। मौत को नजदीक देखकर भी उनको जोश उबाल मार रहा था। जोश भरे शब्दों में  क्रांतिकारी गीत गाते हुए सत्य का वरण करने के लिए आगे बढ़ते जा रहे थे।          -

हरी राम यादव            

7087815074


Wednesday, 19 February 2025

न सांगीतले गेलेले छत्रपती...!!!

सांगीतले गेलेले छत्रपती...!!!

 

छत्रपती शिवाजी महाराजांबाबत प्रमुख्याने फक्त या तीनच गोष्टी सांगितल्या जातात....!

1.अफजलखानाचा कोथळा 

2.शाहीस्तेखानाची बोटे आणि

3.आग्र्याहुन हून सुटका

 

पण मला भावलेले छत्रपती शिवाजी महाराज अनेक अंगाने समजून घ्यावेसे वाटतील....!

 

1. आपल्या आईला जिजाऊ मॉसाहेबांना सती जाण्यापासून रोखणारे छत्रपती शिवाजी महाराज "सामाजिक क्रांती" करणारे होते...!

 

2. रयतेच्या भाजीच्या देठालासुद्धा हात लावता कामा नये हा आदेश देणारे "लोकपालक" राजे होते...!

 

3. सर्व प्रथम हातात तलवारीबरोबरच पट्टी घेऊन जमीन मोजून तिची नोंद त्यांनी ठेवायला चालू केली असे "उत्तम प्रशासक" होते...!

 

4. विनाकारण विना मोबदला झाडं तोडल्यास नवीन झाड लावून जगवण्याची शिक्षा देणारे "पर्यावरण रक्षक" होते...!

 

5. समुद्र प्रवास करण्यास हिंदू धर्मात बंदी होती तो विरोध पत्करून आरमार उभे केले आधुनिक नौदलाचा पाया रचून धर्मा पेक्षा देश मोठा हा संदेश देणारे "स्व-धर्मचिकित्सक" होते ...!

 

6. मुहूर्त पाहता, अशुभ मानल्या गेलेल्या अमावस्येच्या रात्री सर्व लढाया करुन त्या सर्वच्या सर्व लढाया जिंकून  "अंधश्रध्दा निर्मुलनाचा संदेश देणारे  चिकीत्सक राजे"

 

7. ३५० वर्षांपूर्वी छत्रपती शिवरायांनी सुरु केलेली शिवकालीन पाणी साठवण व्यवस्था आजही तितकीच प्रभावी आहे ! "जलतज्ञ" राजे छत्रपती शिवराय!!

 

8. ३५० वर्षांपूर्वी दळणवळणाचे कोणतेही साधन नसताना अभेद्य असे  १०० राहून अधिक गडकिल्ल्यांचे निर्माते, "उत्तम अभियंते राजे"

 

9. सर्व जातीधर्मातल्या मावळ्यांना समान न्याय देत सामाजिक क्रांतीचा पाया रचणारे राजे!!

 

10. परस्त्री मातेसमान मानत महिलांना  सन्मानाने वागवाणारे "मातृभक्त, नारीरक्षक" छत्रपती शिवराय

 

11. संपुर्ण विश्वात फक्त छत्रपती शिवरायांच्या दरबारातच मनोरंजनासाठी कोणतीही स्री नर्तीका नाचवली गेली नाही की मद्याचे प्याले ही रिचवले गेले नाहीत 

 

खऱ्या अर्थाने ते "लोकराजे" होते कारण ते धर्म जातीच्या पलीकडे जाऊन सुखी जनतेचे स्वप्न पहात होते हीच खरी शिवशाही होती.....!

 

 

तमाम शिवप्रेमी बांधवांना शिवजन्मोत्सवाच्या सहस्त्र कोटी शिवसदिच्छा 🚩🚩🚩

 

Friday, 7 February 2025

Meeting Ex Servicemen

AGENDA POINTS FOR MEETING WITH SECRETARY GENERAL ADMINISTRATION DEPT , MAHARASHTRA AND EX SERVICEMEN WELFARE WITH RETIRED AIR FORCE PERSONNEL

Dear All, 


Below is extract from the mail on Ex Servicemen meeting 

 All Ex Servicemen are requested to share any inputs/ suggestions/ opinions regarding welfare of Ex Servicemen  settled in Maharashtra to rpcmc@nic.in by 11 Feb 25 as desired by HQ MC, IAF Welfare Section. A meeting is scheduled to be planned at HQ MC, IAF Nagpur with the Secretary General Administration Dept, Maharashtra Govt. Date of meeting will be intimated soon.


Points/ Inputs/ Suggestions/ Opinions shared by you will be forwarded to HQ MC, IAF  and same will be included as Agenda points in the meeting.

For any further query, please contact to below mentioned Office number.

With regards,

Team Regional Placement Cell, Pune
9 BRD, AF
020-26630173/ 020-26630195