जनतंत्र में जन की आवाज
सरकारी साधन बन गया,
दृश्य मीडिया आज।
जनहित के मुद्दों से रहा न,
अब कोई उसको काज।
विज्ञापन के बल झुक गये,
आज देश के अखबार।
जन की बात उठाने वालों के,
"हरी" रही हाथ में न पतवार।
लेखक जन की बात करें न,
न लिखें जन से जुड़े सवाल।
पुरस्कार के यत्न में केवल,
रोज गला रहे अपनी दाल।
प्रशस्ति गान लिख लिख कर,
कविगण रहे खूब इठलाय ।
अपना काम बने हर दिन,
चाहे देश रसातल में जाय।
जन की आवाज को जनतंत्र में,
पहुंचाने के यह सब आधार।
यशगान करने लगें जब यह ,
समझो प्रजातंत्र का बंटाधार।।
- हरी राम यादव
7087815074
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