SD Pages

Pages

Wednesday, 14 June 2023

कुर्सी की कलुषित जंग

कुर्सी की कलुषित जंग


समाज की समरसता लील गयी,
   दल दल की दलीय राजनीति।

खड़ी कर दी लोगों के बीच,
   कटुता नफरत की ऊंची भीत।

कटुता नफरत की ऊंची भीत,
   मीत भी रंग गये इस रंग में ।

लेकर कूद पड़े हैं बीती बातों को,
   कुर्सी की इस कलुषित जंग में। 

बांट रहे हैं नफरत  निशि दिन,
   सड़कों गलियों चौराहों  पर।

बस पाना चाह रहे हैं सत्ता केवल,
   हरी जाति धर्म की बाहों पर ।

सन् दो हजार चौबीस के लिए,
   लेकर निकल पड़े हैं तीर कमान।

सब अपने मुंह से कर रहे हैं,
   अपने ही बड़े बड़े झूठे बखान।

अपने ही बड़े बड़े झूठे बखान,
   कान भर रहें हैं सब जनता का।

शिक्षा, चिकित्सा की बात करें न,
   मुद्दा छेड़ें बस केवल मजहब का।

भूतकाल के मुद्दों के बल पर,
   हो न सकेगा देश का उत्थान।

काम किया क्या जनहित में,
   उसको बताओ दल के कप्तान।।

      - हरी राम यादव
        अयोध्या
        7087815074

No comments:

Post a Comment