अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद जमशेदपुर महानगर द्वारा सैम मानेकशॉ के अदम्य साहस और उनके युद्धकौशल को नमन किया। विषय प्रवेश तापस मजूमदार ने रखा और बिमल ओझा ने सैम मानेकशॉ के वीरता के किस्से सुनाते हुए कहा सैम मानेकशा भारतीय सेना के तत्कालीन अध्यक्ष थे, जिनके नेतृत्व में भारत ने सन् 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त किया था जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का जन्म हुआ था. अदम्य साहस और युद्धकौशल के लिए मशहूर, भारतीय सेना के इतिहास में स्वर्णिम दस्तखत करने वाले सबसे ज्यादा चर्चित और कुशल सैनिक कमांडर पद्म भूषण, पद्म विभूषण सैम मानेकशॉ भारत के पहले फ़ील्ड मार्शल थे. उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के अलावा तीनों युद्धों में भी भाग लिया था। दिसम्बर सन 1971 में सैम मानेकशॉ के युद्घ कौशल के सामने पाकिस्तान की करारी हार हुई तथा बांग्लादेश का निर्माण हुआ. युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को नाको चने चबवा दिए और इसका श्रेय काफ़ी हद तक फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को जाता है. उन्होंने सेना का उत्साह बढ़ाने के साथ-साथ एक मजबूत रणनीति बनाई. मानेकशॉ की कुशल रणनीति की बदौलत ही पाकिस्तानी सेना पर बहुत जल्द जीत हासिल हुई.
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