Tuesday 17 September 2019

17 स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरोज' के लिए पुनरुत्थान समारोह

भारतीय वायुसेना के 17 स्क्वाड्रन के लिए आज वायु सेना स्टेशन अंबाला में पुनरुत्थान समारोह आयोजित किया गया। वायु सेना प्रमुख बीरेंद्र सिंह धनोआ पीवीएसएम एवीएसएम वाईएसएम वीएम एडीसी ने इस अवसर पर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह को स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस समारोह में भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

17 स्क्वाड्रन का गठन फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी.एल. स्प्रिंगगेट की कमान में 01 अक्टूबर, 1951 को अंबाला में हुआ था। स्क्वाड्रन के पास उस समय हारवर्ड-II बी एयरक्राफ्ट था। 1957 में गोल्डन एरोज ने हाउकर हंटर एयरक्राफ्ट उड़ाए। स्क्वाड्रन को 1975 में मिग-21एम प्राप्त हुआ।

स्क्वाड्रन ने दिसंबर, 1961 और 1965 में गोवा मुक्ति अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई थी। विंग कमांडर एन.चत्रथ की कमान में 17 स्क्वाड्रन ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया था। इसके लिए स्क्वाड्रन को कई वीरता पुरस्कार मिले थे।

तत्कालीन राष्ट्रपति श्री आर.वेंकटरमन ने नवंबर, 1988 में स्क्वाड्रन को ‘कलर्स’ प्रदान किया था। विंग कमांडर धनोआ की कमान में गोल्डन एरोज ने 1999 में ऑपरेशन सफेद सागर में सक्रिय भूमिका निभाई थी।

निकट भविष्य में 17 स्क्वाड्रन पहला स्क्वाड्रन होगा जिसे आधुनिक राफेल एयरक्राफ्ट दिया जाएगा, जो अत्यधिक सक्षम चौथी पीढ़ी का बहुभूमिका निभाने वाला एयरक्राफ्ट है और इसमें कई आधुनिक हथियार भी लगे हुए हैं।

अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण से जम्मू-कश्मीर के विकास में तेजी आएगीः उपराष्ट्रपति

जम्मू-कश्मीर के सरपंचों (ग्राम प्रधानों) और पंचों (पंचायत सदस्यों) के एक प्रतिनिधि मंडल के साथ आज नई दिल्ली में बातचीत करते हुए, उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केन्द्र शासित प्रदेशों में विकास की प्रक्रिया में तेजी आएगी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसके तहत स्थानीय निकायों के लिए धन और कार्याधिकारों की मजबूती को लेकर संविधान के 73वें और 74वें संशोधनों सहित विभिन्न योजनाओं और विधानों के विस्तार का मार्ग प्रशस्त किया गया है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हमारे संविधान का एक अस्थायी प्रावधान था।

काफी समय के बाद जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के तहत पंचायत चुनावों के बारे में चर्चा करते हुए, श्री नायडू ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि 74 प्रतिशत मतदाताओं ने मत डाले और 4483 पंचायतों में से लगभग 3500 को गठित किया गया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण से पंचायतें अब अधिक सशक्त होंगी, क्योंकि पंचायतों में धन, कार्याधिकार और कर्मचारियों को हस्तांतरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पंचायतों के वित्तीय अधिकार को भी दस गुणा बढ़ाकर एक लाख रुपये तक किया गया है।

इसके अलावा, उपराष्ट्रपति ने कहा कि करों में वृद्धि करके अपने संसाधनों से धन जुटाने की शक्ति पंचायतों को प्रदान की गई थी। उन्होंने कहा कि वितरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए अब पंचायतों को समेकित बाल विकास योजना (आईसीडीएस) और प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) जैसी योजनाओं की लेखा परीक्षा करने का अधिकार भी सौंपा गया है।

धन, कार्याधिकार और कर्मचारियों के बेहतर हस्तांतरण से क्रियाकलाप के और भी अधिक प्रभावी होने से तीन-स्तरीय प्राशसनिक प्रणाली की मजबूती के बारे में चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार पंचायत चुनाव नहीं होने के कारण पंचायतें लगभग 4000 करोड़ रुपये का नुकसान झेल रही थीं। उन्होंने कहा कि अब चुनाव हो चुके है और वित्त आयोग के सुझावों के अनुसार धन मिलना शुरू हो जाएगा। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि 500 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं और शीघ्र ही अन्य 3000 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे, जो पंचायत प्रणाली के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होगा।

उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि प्रत्येक पांच वर्ष में स्थानीय निकायों के चुनाव को अनिवार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यों के पास इन चुनावों को स्थगित करने अग्रिम तौर पर कराने का कोई विवेकाधिकार अथवा संभावना नहीं हो। 

बेहतर विकास और कल्याणकारी पहलों के साथ-साथ बेहतर सेवा के लिए प्रभावकारी स्थानीय शासन की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए, उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों को आवंटित निधियों को पंचायतों, नगर-पालिकाओं और नगर-निगम के खातों में जमा कराया जाना चाहिए और संबंधित निकायों के प्रस्तावों के अनुसार खर्च किया जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के बारे में पाकिस्तान के साथ बातचीत हो सकेगी, साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा, संरक्षा और एकता प्रत्येक नागरिक के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

सेना द्वारा जम्‍मू-कश्‍मीर के किश्‍तवाड़ जिले के छात्रों के लिए भारतीय सैन्‍य अकादमी- देहरादून और दिल्‍ली की यात्रा का आयोजन

भारतीय सेना द्वारा जम्‍मू-कश्‍मीर के किश्‍तवाड़ जिले के 22 छात्रों और तीन शिक्षकों के लिए नई दिल्‍ली और भारतीय सैन्‍य अकादमी की 10 दिनों की एक क्षमता विकास यात्रा आयोजित की गई। यात्रा पूरी कर लौटने पर छात्रों और शिक्षकों का 11 सितंबर, को बटोट में भव्‍य रस्‍मी स्‍वागत किया किया गया।  

दस दिनों की इस यात्रा में 2 सितंबर से 11 सितंबर के बीच किश्‍तवाड़ के युवाओं को देहरादून के प्रतिष्ठित भारतीय सैन्‍य अकादमी और वन अनुसंधान संस्‍थान तथा दिल्‍ली में राष्‍ट्रपति भवन, इंडिया गेट और राष्‍ट्रीय युद्ध स्‍मारक जैसी ऐतिहासिक धरोहरों के अलावा विज्ञान संग्रहालय और नेहरू तारामंडल भी देखने का अवसर प्राप्‍त हुआ।

देहरादून का भारतीय सैन्‍य अकादमी इस यात्रा का मुख्‍य आकर्षण रहा। अकादमी में छात्रों और शिक्षकों को कैडेटों की प्रशिक्षण गतिविधियों के साथ ही वहां उपलब्‍ध विश्‍वस्‍तरीय अवसंरचनाओं को देखने का अवसर भी मिला। यात्रा में शामिल छात्रों को अकादमी के खेत्रपाल आडिटोरियम भी ले जाया गया जहां उन्‍हें मेकिंग ऑफ वारियर नाम की एक फिल्‍म दिखाई गई जिसका उद्देश्‍य युवाओं को देश की सशस्‍त्र सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करना था। यात्रा टीम को भारतीय सेना के बड़े अधिकारियों से मिलने का अवसर भी दिया गया ताकि उनमें एक तरह का आत्‍मविश्‍वास पैदा हो सके।

यात्रा का उद्देश्‍य छात्रों को भारतीय सेना तथा सरकारी क्षेत्र में उपलब्‍ध रोजगार के अवसरों की जानकारी देना भी था। इस दौरान उन्‍हें ख्‍याति प्राप्‍त बालनोई अकादमी भी दिखाने ले जाया गया जहां छात्रों को सेना में शुरूआती स्‍तर पर अधिकारिक सेवाओं के लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाता है।

छात्रों को 10 दिन की यात्रा के दौरान मेट्रो ट्रेन की सवारी, सेलेक्‍ट सिटी मॉल, मसूरी शहर तथा सिनेमा हॉल भी देखने का मौका मिला जो उनके लिए एक रोमांचकारी अनुभव रहा, क्‍योंकि किश्‍तवाड़ जैसे छोटे जगह से आए इन छात्रों को पहली बार यह सब देखने का अवसर मिला था। छात्र ‘मिशन मंगल’  फिल्‍म देखकर भी काफी रोमांचित हुए।  

यात्रा से वापस आने के बाद छात्र और शिक्षक अपने स्‍कूल के लोगों और गांववासियों के साथ काफी उत्‍सकुता के साथ यात्रा अनुभव बांटते देखे गए। उन्‍होंने ऐसी शिक्षाप्रद यात्रा आयोजित करने के लिए सेना को धन्‍यवाद दिया।

भारतीय सेना जम्‍मू-कश्‍मीर के दूर-दराज के क्षेत्रों के छात्रों के लिए नियमित रूप से ऐसी यात्राओं का आयोजन करती रही है।

भारत के सबसे ऊंचे हवाई यातायात नियंत्रण टॉवर का उद्घाटन

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने किफायती उड़ान और स्वस्थ विमानन क्षेत्र के विकास की दिशा में पिछले 100 दिनों में कई पहल शुरू की हैं। इस संबंध में हुई कुछ प्रमुख पहल हैं -

इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर इस महीने की शुरुआत में भारत के सबसे ऊंचे हवाई यातायात नियंत्रण टॉवर का उद्घाटन किया गया है, जो कुशल, सुचारू और निर्बाध हवाई यातायात प्रबंधन के लिए ऊंचे दर्जे की सेवाएं एवं प्रणालियां सुनिश्चित करेगा।

अहमदाबाद, लखनऊ और मेंगलुरू हवाईअड्डों को सार्वजनिक क्षेत्र में आवश्यक निवेश का दोहन करने के अलावा डिलीवरी, कार्यक्षेत्र, उपक्रम और व्यावसायिकता में दक्षता लाने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत निजी रियायत हासिल करने वालों को सौंपा गया है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 29 अगस्त, 2019 को एक अनोखा वेब आधारित पोर्टल ‘एविएशन जॉब्स’ शुरू किया है। यह भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र के संभावित नियोक्ताओं और रोजगार चाहने वालों को एक साथ लाएगा। यह विभिन्न उप-क्षेत्रों में अपनी रुचि की नौकरियों में पंजीकरण के लिए उम्मीदवारों को सक्षम बनाने वाला एक संयुक्त मंच है। इसके साथ ही यह संभावित नियोक्ताओं को नागरिक उड्डयन पारिस्थितिकी तंत्र में रोजगार या फिर से रोजगार की संभावनाओं में सुधार करने की दृष्टि से बाजार में उपलब्ध उम्मीदवारों के बारे में जानकारी के स्रोत की सुविधा प्रदान करता है।

पहले, दूसरे और तीसरे दौर अथवा पर्यटन क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) के तहत दिए गए 34 मार्गों पर संचालन शुरू हो गया है। इस योजना के तहत ये 34 आरसीएस मार्ग चार गैर-सेवारत (झारसुगड़ा, मैसूर, कोल्हापुर और जलगांव) और चार कम-सेवारत (ग्वालियर, बेलगाम, दुर्गापुर और शिलांग) हवाईअड्डों  को 10 सेवारत (रायपुर, भुवनेश्वर, कोलकाता, बेंगलुरू, मुंबई, हैदराबाद, गोवा, कोच्चि, राजामुंदरी और वाइजैग यानी विशाखापट्टनम) हवाईअड्डों को संपर्क उपलब्ध कराएंगे।

डिजिटल पहल के तहत मंत्रालय की ओर से उठाए गए कदम

·         ईडीजीसीए परियोजना डीजीसीए और इसके संघटक निदेशालयों की प्रक्रियाओं और कार्यों को पूरी तरह से स्वचालित करने के साथ-साथ आईटी ढांचे और सेवा वितरण तंत्र को एक मजबूत आधार प्रदान करने के लिए संकल्पित है। पायलटों के लाइसेंस सहित विभिन्न मॉड्यूल के विकास पर भी काम चल रहा है।

·         डिजीस्काई – यह दूर से संचालित विमान प्रणाली (आरपीएएस)/ मानव रहित विमान वाहन (यूएवी)/ड्रोन के संचालन और इससे संबंधित संपूर्ण गतिविधियों को नियमन के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल है। इसे शुरू कर दिया गया है। ड्रोन संचालन के दौरान बचाव एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही यह ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने में भी मदद देता है।

·         ईसहज – नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए ईसहज ऑनलाइन पोर्टल पर मंत्रालय से संबंधित सुरक्षा मंजूरी को 100% ऑनलाइन किया गया है। यह पोर्टल 24 श्रेणियों में सुरक्षा मंजूरी देने का काम करता है। 

·         डिजीयात्रा – डिजीयात्रा पहल को शुरू करने के लिए बेंगलौर और हैदराबाद एयरपोर्ट पर परीक्षण चल रहा है।  यात्रा अनुभव में सुधार, कतार प्रतीक्षा समय घटाने के लिए इस पहल में बायोमेट्रिक तकनीकों का उपयोग करते हुए सहज और परेशानी मुक्त यात्रा की परिकल्पना की गई है। इसमें उन्नत सुरक्षा समाधानों का उपयोग करके यात्री ई-गेट से जा सकते हैं। यह जांच बिंदुओं पर अतिरेक को दूर करेगा और संसाधनों का उपयोग बढ़ाएगा।

यात्री सेवा शुल्क (पीएसएफ) को अब विमानन सुरक्षा शुल्क (एएसएफ) कहा जाएगा। इसे यात्री किराए के हिस्से को तौर पर एयरलाइनों की ओर से वसूला जाएगा। इसे संबंधित जेवी या एएआई खाते के एस्क्रो (निलंब संपत्ति) खाते में जमा किया जाता है। इसे युक्तिसंगत बनाया गया है। हवाईअड्डों के सभी एएसएफ संग्रह को एक साथ लाने के लिए नेशनल ट्रस्ट बनाया गया है। इस ट्रस्ट का प्रबंधन भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा। पीएसएफ (एससी)/एएसएफ का एकल पूल खाते में संग्रह से कम पीएसएफ (एससी)/एएसएफ संग्रह वाले एएआई के छोटे हवाई अड्डों को सब्सिडी देने का उद्देश्य पूरा हो सकेगा। इससे फंडिंग में अंतर को पाटा जा सकेगा।

अपनी सुरक्षा निगरानी की कमियों को दूर करने और प्रभावी कार्यान्वयन (ईआई) में सुधार के लिए भारत की प्रगति को मान्यता देते हुए अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) ने उसे काउंसिल प्रेसीडेंट सर्टिफिकेट देने की घोषणा की है। इसे मांट्रियल स्थित आईसीएओ मुख्यालय में सभा के 40वें सत्र के दौरान एक विशेष कार्यक्रम के दौरान प्रदान किया जाएगा।