Tuesday 27 February 2018

पाच वर्षाच्या मुलांसाठी निळ्या रंगाचे 'बाल आधारकार्ड'

नवी दिल्ली : पाच वर्षांपेक्षा कमी वयाच्या मुलांसाठी निळ्या रंगाचे बाल आधारकार्ड युआयडीआयने जारी केले आहे. हे विशेष आधारकार्ड काढण्यासाठी आई किंवा वडिलांपैकी एकाचा आधार क्रमांक आणि जन्मदाखल्याची आवश्यकता भासणार आहे. लहान मुलांसाठीचे हे विशेष आधारकार्ड काढण्यासाठी बायोमेट्रिक तपशीलांची आवश्यकता भासणार आहे.

A child below 5 years of age gets a blue in coloured Aadhaar known as Baal Aadhaar. When the child becomes 5 yr old, a mandatory biometric update is required. #AadhaarForMyChild pic.twitter.com/5IBZRuo7Tr

- Aadhaar (@UIDAI) February 23, 2018

सर्व प्रकारच्या सरकारी सुविधांचा लाभ घेण्यासाठी आता हा दस्तावेज महत्त्वपूर्ण ठरणार असल्याची माहिती युआयडीआयने ट्विटरद्वारे दिली आहे. दरम्यान संबंधित मुलाने वयाची पाच वर्ष पूर्ण केल्यानंतर त्याचे बायोमेट्रीक तपशील अपडेट करावे लागणार आहे. मूल सात वर्षांचे होईपर्यंत जर बायोमेट्रिक अपडेट न केल्यास निळ्या रंगाचे आधारकार्ड आपोआप रद्द होईल.

Dailyhunt

New Facilities for UAN- Aadhar Linking Introduces By EPFO : Ministry of Labour & Employment

 

PIB Delhi  : Employees’ Provident Fund Organisation (EPFO) has introduced UAN-Aadhaar linking facility for the convenience of members using EPFO Link in UMANG Mobile App. This is in addition to the existing web facility already available at EPFO’s website www.epfindia.gov.in >> Online Services >> e-KYC Portal>> LINK UAN AADHAAR.

The facility on e-KYC Portal has further added a new feature to link UAN with Aadhaar online using biometric credentials. Using the aforesaid facilities, EPFO members can link their UAN with Aadhaar as under: 

For using this facility with UMANG APP, Member will have to provide his/her UAN. An OTP will be sent to the UAN registered Mobile Number. After OTP Verification, member will have to provide Aadhaar details and gender information (where gender information is not available against UAN). Another OTP will be sent on Aadhaar Registered Mobile Number and/or email. After OTP verification, Aadhaar will be linked with UAN where UAN and Aadhaar details are matched.

For using this facility through E-KYC Portal, Member will have to provide his/her UAN. An OTP will be sent to the UAN registered Mobile Number. After OTP Verification, member will have to provide Aadhaar details, gender information (where gender information is not available against UAN) and select Aadhaar verification method (Using Mobile/email based OTP /using Biometrics). Another OTP will be sent on Aadhaar Registered Mobile Number and/or email or Biometric will be captured using Registered Biometric Device. After verification, Aadhaar will be linked with UAN where UAN and Aadhaar details are matched.

                                    Moving towards Digital India, EPFO has also launched e-Nomination facility for filing nomination form by the member. This functionality is available at Member Interface of EPFO Unified Portal (https://unifiedportal-mem.epfindia.gov.in/memberinterface/). Any member having activated and Aadhaar seeded UAN, can avail this facility.                       

This functionality is independent from employer.  After giving nomination details online, member has to digitally sign the nomination.  Aadhaar based eSign is being used for digital signing of nomination form.  Aadhaar based eSign is being provided to members free of cost by EPFO.  Only member’s mobile number should be linked with Aadhaar.  This functionality will also be made available on UMANG mobile app soon.

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JN/IA

 

Monday 26 February 2018

डीआरडीओ ने रुस्तम 2 फ्लाइट का सफलतापूर्वक परीक्षण किया : रक्षा मंत्रालय

 

( PIB  ) डीआरडीओ ने आज चित्रदुर्ग में चलाकेर स्थित अपने एयरोनौटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) से रुस्तम 2 उड़ान का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह फ्लाइट इस तथ्य के कारएा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि उच्च पावर इंजन के साथ यूजर कन्फिगुरेशन में यह पहली फ्लाइट है। सभी मानक सामान्य रहे। रक्षा विभाग (आरएंडडी) के सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. क्रिस्टोफर, एयरोनौटिकल सिस्टम के महानिदेशक डॉ. सी पी रामनरायणन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन सिस्टम्स की डीजी सुश्री जे मंजुला एवं अन्य वैज्ञानिकों ने फ्लाइट का अवलोकन किया एवं रुस्तम टीम को बधाई दी।

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वीके/एएम/एसकेजे/डीए – 9803

Sunday 25 February 2018

‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ ( 25.02.2018)

Posted On: 25 FEB 2018 10:57AM by PIB Delhi

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार।

आज प्रारम्भ में ही ‘मन की बात’ एक फ़ोन-कॉल से ही शुरू करते हैं।

(फ़ोन)

आदरणीय प्रधानमंत्री जी, मैं कोमल त्रिपाठी मेरठ से बोल रही हूँ.. 28 तारीख को national science day है ... India की progress और उसका growth, science से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है.. जितना ही हम इसमें research और innovation करेंगे उतना ही हम आगे बढ़ेंगे और prosper करेंगे .. क्या आप हमारे युवाओं को motivate करने के लिए कुछ ऐसे शब्द कह सकते हैं जिससे कि वो scientific तरीक़े से अपनी सोच को आगे बढाएं और हमारे देश को भी आगे बढ़ा सकें ..धन्यवाद .

आपके फ़ोन-कॉल के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। विज्ञान को लेकर ढ़ेर सारे प्रश्न मेरे युवा साथियों ने मुझसे पूछे हैं, कुछ-न-कुछ लिखते रहते हैं। हमने देखा है कि समुन्दर का रंग नीला नज़र आता है लेकिन हम अपने दैनिक जीवन के अनुभवों से जानते हैं कि पानी का कोई रंग नहीं होता है। क्या कभी हमने सोचा है कि नदी हो, समुन्दर हो, पानी रंगीन क्यों हो जाता है ? यही प्रश्न 1920 के दशक में एक युवक के मन में आया था। इसी प्रश्न ने आधुनिक भारत के एक महान वैज्ञानिक को जन्म दिया। जब हम विज्ञान की बात करते हैं तो सबसे पहले भारत-रत्न सर सी.वी. रमन का नाम हमारे सामने आता है। उन्हें light scattering यानि प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिए नोबल-पुरस्कार प्रदान किया गया था। उनकी एक ख़ोज ‘Raman effect’ के नाम से प्रसिद्ध है। हम हर वर्ष 28 फ़रवरी को ‘National Science Day’ मनाते हैं क्योंकि कहा जाता है कि इसी दिन उन्होंने light scattering की घटना की ख़ोज की थी। जिसके लिए उन्हें नोबल- पुरस्कार दिया गया। इस देश ने विज्ञान के क्षेत्र में कई महान वैज्ञानिकों को जन्म दिया है। एक तरफ़ महान गणितज्ञ बोधायन, भास्कर, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट की परंपरा रही है तो दूसरी तरफ़ चिकित्सा के क्षेत्र में सुश्रुत और चरक हमारा गौरव हैं। सर जगदीश चन्द्र बोस और हरगोविंद खुराना से लेकर सत्येन्द्र नाथ बोस जैसे वैज्ञानिक-ये भारत के गौरव हैं। सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर तो famous particle ‘Boson’ का नामकरण भी किया गया। हाल ही मुझे मुम्बई में एक कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला - Wadhwani Institute for Artificial Intelligence के उद्घाटन का। विज्ञान के क्षेत्र में जो चमत्कार हो रहे हैं, उनके बारे में जानना बड़ा दिलचस्प  था।  Artificial Intelligence के माध्यम से Robots, Bots और specific task करने वाली मशीनें बनाने में सहायता मिलती है। आजकल मशीनें self learning से अपने आप के intelligence को और smart बनाती जाती हैं। इस technology का उपयोग ग़रीबों, वंचितों या ज़रुरतमंदों का जीवन बेहतर करने के काम आ सकता है। Artificial Intelligence के उस कार्यक्रम में मैंने वैज्ञानिक समुदाय से आग्रह किया कि दिव्यांग भाइयों और बहनों का जीवन सुगम बनाने के लिए, किस तरह से Artificial Intelligence से मदद मिल सकती है ? क्या हम Artificial Intelligence के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं के बारे में बेहतर अनुमान लगा सकते हैं ? किसानों को फ़सलों की पैदावार को लेकर कोई सहायता कर सकते हैं ? क्या Artificial Intelligence स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को आसान बनाने और आधुनिक तरीक़े से बीमारियों के इलाज़ में सहायक हो सकता है ?

पिछले दिनों इज़राइल के प्रधानमंत्री के साथ मुझे गुजरात में, अहमदाबाद में ‘I Create’ के उद्घाटन के लिए जाने का अवसर मिला था। वहाँ एक नौजवान ने, एक ऐसा digital instrument develop किया हुआ बताया उसने कि जिसमें अगर कोई बोल नहीं सकता है तो उस instrument के माध्यम से अपनी बात लिखते ही वो voice में convert होती है और आप वैसे ही सम्वाद कर सकते हैं जैसे कि एक बोल सकने वाले व्यक्ति के साथ आप करते हैं। मैं समझता हूँ कि Artificial Intelligence का उपयोग ऐसी कई विधाओं में हम कर सकते हैं।

Science and Technology, value neutral होती हैं। इनमें मूल्य, अपने आप नहीं होते हैं। कोई भी मशीन वैसा ही कार्य करेगी जैसा हम चाहेंगे। लेकिन, यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम मशीन से क्या काम लेना चाहते हैं। यहाँ पर मानवीय-उद्धेश्य महत्वपूर्ण हो जाता है। विज्ञान का मानव-मात्र कल्याण के लिए उपयोग, मानव जीवन की सर्वोच्च ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रयोग।

Light Bulb का आविष्कार करने वाले Thomas Alva Edison अपने प्रयोगों में कई बार असफ़ल रहे। एक बार उनसे जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया –“मैंने Light Bulb नहीं बनाने के दस हज़ार तरीक़े खोज़े हैं”, यानि Edison ने अपनी असफलताओं को भी अपनी शक्ति बना लिया। संयोग से सौभाग्य है कि आज मैं महर्षि अरबिन्दो की कर्मभूमि ‘Auroville’ में हूँ। एक क्रांतिकारी के रूप में उन्होंने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी, उनके ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी, उनके शासन पर सवाल उठाए। इसी प्रकार उन्होंने एक महान ऋषि के रूप में, जीवन के हर पहलू के सामने सवाल रखा। उत्तर खोज़ निकाला और मानवता को राह दिखाई। सच्चाई को जानने के लिए बार-बार प्रश्न पूछने की भावना, महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिक ख़ोज के पीछे की असल प्रेरणा भी तो यही है। तब तक चैन से नहीं बैठना चाहिये जब तक क्यों, क्या और कैसे जैसे प्रश्नों का उत्तर न मिल पाए। National Science Day  के अवसर पर हमारे वैज्ञानिकों, विज्ञान से जुड़े सभी लोगों को मैं बधाई देता हूँ। हमारी युवा-पीढ़ी, सत्य और ज्ञान की खोज़ के लिए प्रेरित हो, विज्ञान की मदद से समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित हो, इसके लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ हैं।

साथियो, crisis के समय safety, disaster इन सारे विषयों पर मुझे बहुत बार बहुत कुछ सन्देश आते रहते हैं, लोग मुझे कुछ-न-कुछ लिखते रहते हैं। पुणे से श्रीमान रवीन्द्र सिंह ने NarendraModi mobile App पर अपने comment में occupational safety पर बात की है। उन्होंने लिखा है कि हमारे देश में factories और constructions sites पर safety standards उतने अच्छे नहीं हैं। अगले 4 मार्च को भारत का National Safety Day है, तो प्रधानमंत्री अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में safety पर बात करें ताकि लोगों में safety को लेकर जागरूकता बढ़े। जब हम public safety  की बात करते हैं तो दो चीज़ें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं- pro-activeness और दूसरा है preparedness। Safety दो प्रकार की होती है एक वो जो आपदा के समय जरुरी होती है, safety during disasters और दूसरी वो जिसकी दैनिक जीवन में आवश्यकता पड़ती है, safety in everyday life। अगर हम दैनिक जीवन में safety को लेकर जागरूक नहीं हैं, उसे हासिल नहीं कर पा रहे हैं तो फिर आपदा के दौरान इसे पाना मुश्किल हो जाता है। हम सब बहुत बार रास्तों पर लिखे हुए board पढ़ते हैं। उसमें लिखा होता है –

- “सतर्कता हटी-दुर्घटना घटी”,

- “एक भूल करे नुकसान, छीने खुशियाँ और मुस्कान”,

- “इतनी जल्दी न दुनिया छोड़ो, सुरक्षा से अब नाता जोड़ो”

- “सुरक्षा से न करो कोई मस्ती, वर्ना ज़िंदगी होगी सस्ती”    

उससे आगे उन वाक्य का हमारे जीवन में कभी-कभी कोई उपयोग ही नहीं होता है। प्राकृतिक आपदाओं को अगर छोड़ दें तो ज़्यादातर दुर्घटनाएँ, हमारी कोई-न-कोई गलती का परिणाम होती हैं। अगर हम सतर्क रहें, आवश्यक नियमों का पालन करें तो हम अपने जीवन की रक्षा तो कर ही सकते हैं, लेकिन, बहुत बड़ी दुर्घटनाओं से भी हम समाज को बचा सकते हैं। कभी-कभी हमने देखा है कि work place पर safety को लेकर बहुत सूत्र लिखे गए होते हैं लेकिन जब देखते हैं तो कहीं पर उसका पालन नज़र नहीं आता है। मेरा तो आग्रह है कि महानगर पालिका, नगर पालिकाएँ जिनके पास fire brigade होते हैं उन्हें हफ़्ते में एक बार या महीने में एक बार अलग-अलग स्कूलों में जा करके स्कूल के बच्चों के सामने mock drill करना चाहिये। उससे दो फायदे होंगे - fire brigade को भी सतर्क रहने की आदत रहती है और नयी पीढ़ी को इसकी शिक्षा भी मिलती है और इसके लिए न कोई अलग खर्चा होता है - एक प्रकार से शिक्षा का ही एक क्रम बन जाता है और मैं हमेशा इस बात का आग्रह करता रहता हूँ। जहाँ तक आपदाओं की बात है, disasters की बात है, तो भारत भौगोलिक और जलवायु की दृष्टि से विविधताओं से भरा हुआ देश है। इस देश ने कई प्राक्रतिक और मानव-निर्मित आपदाएँ, जैसे रासायनिक एवं औद्योगिक दुर्घटनाओं को झेला है। आज National Disaster Management Authority यानी NDMA देश में आपदा-प्रबंधन की अगुवाई कर रहा है। भूकंप हो, बाढ़ हो, Cyclone हो, भूस्खलन हो जैसे विभिन्न आपदाओं को, rescue operation हो, NDMA तुरंत पहुँचता है। उन्होंने guidelines भी जारी किये हैं, साथ-साथ वो capacity building के लिए लगातार training के काम भी करते रहते हैं। बाढ़, cyclone के खतरे में होने वाले ज़िलों में volunteers के प्रशिक्षण के लिए भी ‘आपदा मित्र’ नाम की पहल की गई है। प्रशिक्षण और जागरूकता का बहुत महत्वपूर्ण रोल है। आज से दो-तीन साल पहले लू, Heat Wave से प्रतिवर्ष हजारों लोग अपनी जान गवाँ देते थे। इसके बाद NDMA ने heat wave के प्रबंधन के लिए workshop आयोजित किये, लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान चलाया। मौसम विभाग ने सटीक पूर्वानुमान लगाये। सबकी भागीदारी से एक अच्छा परिणाम सामने आया। 2017 में लू से होने वाली मौतों की संख्या अप्रत्याशित रूप से घटकर क़रीब-क़रीब 220 पर आ गई। इससे पता चलता है कि अगर हम सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं, हम सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं। समाज में इस प्रकार से काम करने वाले अनगिनत लोग हों, सामाजिक संगठन हों, जागरूक नागरिक हों - मैं उन सब की सराहना करना चाहता हूँ, जो कहीं पर भी आपदा हो मिनटों के अन्दर राहत और बचाव कार्य में जुट जाते हैं। और ऐसे गुमनाम heroes की संख्या कोई कम नहीं है। हमारी Fire and Rescue Services, National Disaster Response Forces, सशस्त्र सेनाएँ, Paramilitary Forces, ये भी संकट के समय पहुँचने वाले वीर बहादुर अपनी जान की परवाह किये बिना लोगों की मदद करते हैं। NCC, Scouts जैसे संगठन भी इन कामों को आजकल कर भी रहे हैं, training भी कर रहे हैं। पिछले दिनों हमने एक प्रयास ये भी शुरू किया है कि जैसे दुनिया के देशों में joint military exercise होती है तो क्यों न दुनिया के देश Disaster Management के लिए भी joint exercise करें। भारत ने इसको lead किया है – BIMSTEC, बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल, इन देशों की एक joint disasters management exercise  भी की गई, ये अपने आप में एक पहला और बड़ा मानवीय प्रयोग था। हमें एक risk conscious society बनना होगा। अपनी संस्कृति में हम मूल्यों की रक्षा, safety of values के बारे में तो अक्सर बातें करते हैं, लेकिन हमें values of safety, सुरक्षा के मूल्यों को भी समझना होगा। हमें उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा। हमारे सामान्य जीवन में हमने देखा है कि हम सैकड़ों बार हवाई जहाज में यात्रा करते हैं और हवाई जहाज के अंदर air hostess प्रारंभ में safety के संबंध में सूचनाएँ देती है। हम सब ने सौ-बार इसको सुना होगा लेकिन आज हमें कोई हवाई जहाज में ले जा करके खड़ा करे और पूछे कि बताइये कौन सी चीज़ कहाँ है ? life jacket कहाँ है ? कैसे उपयोग करना चाहिए ? मैं दावे से कहता हूँ हममें से कोई नहीं बता पायेगा। मतलब ये हुआ कि क्या जानकारी देने की व्यवस्था थी ? थी। प्रत्यक्ष उस तरफ़ नज़र करके देखने के लिए सम्भावना थी ? थी। लेकिन हमने किया नहीं। क्यों ? क्योंकि हम स्वभाव से conscious नहीं हैं और इसलिए हमारे कान, हवाई जहाज बैठने के बाद सुनते तो हैं लेकिन ‘ये सूचना मेरे लिए है’ ऐसा हममें से किसी को लगता ही नहीं है। वैसा ही जीवन के हर क्षेत्र में हमारा अनुभव है। हम ये न सोचें कि safety किसी और के लिए है, अगर हम सब अपनी safety के लिए सजग हो जाएँ तो समाज की safety का भाव भी अन्तर्निहित होता है।

    मेरे प्यारे देशवासियो, इस बार बजट में ‘स्वच्छ भारत’ के तहत गाँवों के लिए बायोगैस के माध्यम से waste to wealth और waste to energy बनाने पर ज़ोर दिया गया। इसके लिए पहल शुरू की गई और इसे नाम दिया गया ‘GOBAR-Dhan’ - Galvanizing Organic Bio-Agro Resources। इस ‘GOBAR-Dhan’ योजना का उद्देश्य है, गाँवों को स्वच्छ बनाना और पशुओं के गोबर और खेतों के ठोस अपशिष्ट पदार्थों को COMPOST और BIO-GAS में परिवर्तित कर, उससे धन और ऊर्जा generate करना। भारत में मवेशियों की आबादी पूरे विश्व में सबसे ज़्यादा है। भारत में मवेशियों की आबादी लगभग 30 करोड़ है और गोबर का उत्पादन प्रतिदिन लगभग 30 लाख टन है। कुछ यूरोपीय देश और चीन पशुओं के गोबर और अन्य जैविक अपशिष्ट का उपयोग ऊर्जा के उत्पादन के लिए करते हैं लेकिन भारत में इसकी पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं हो रहा था। ‘स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण’ के अंतर्गत अब इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।      

मवेशियों के गोबर, कृषि से निकलने वाले कचरे, रसोई घर से निकलने वाला कचरा, इन सबको बायोगैस आधारित उर्जा बनाने के लिए इस्तेमाल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ‘गोबर धन योजना’ के तहत ग्रामीण भारत में किसानों, बहनों, भाइयों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वो गोबर और कचरे को सिर्फ waste के रूप में नहीं बल्कि आय के स्रोत के रूप में देखें। ‘गोबर धन योजना’ से ग्रामीण क्षेत्रों को कई लाभ मिलेंगे। गांव को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी। पशु-आरोग्य बेहतर होगा और उत्पादकता बढ़ेगी। बायोगैस से खाना पकाने और lighting के लिए ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। किसानों एवं पशुपालकों को आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।  Waste collection, transportation, बायोगैस की बिक्री आदि के लिए नई नौकरियों के अवसर मिलेंगे। ‘गोबर धन योजना’ के सुचारू व्यवस्था के लिए एक online trading platform भी बनाया जाएगा जो किसानों को खरीदारों से connect करेगा ताकि किसानों को गोबर और agriculture waste का सही दाम मिल सके। मैं उद्यमियों, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में रह रही अपनी बहनों से आग्रह करता हूँ कि आप आगे आयें। Self Help Group बनाकर, सहकारी समितियां बनाकर इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं। मैं आपको आमंत्रित करता हूँ clean energy and green jobs के इस आन्दोलन के भागीदार बनें। अपने गाँव में waste को wealth में परिवर्तन करने और गोबर से गोबर-धन बनाने की दिशा में पहल करें। 

   मेरे प्यारे देशवासियो, आज तक हम music festival, food festival, film festival न जाने कितने-कितने प्रकार के festival के बारे में सुनते आए हैं । लेकिन छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अनूठा प्रयास करते हुए राज्य का पहला ‘कचरा महोत्सव’ आयोजित किया गया। रायपुर नगर निगम द्वारा आयोजित इस महोत्सव के पीछे जो उद्देश्य था वह था स्वच्छता को लेकर जागरूकता। शहर के waste का creatively use करना और garbage को re-use करने के विभिन्न तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करना। इस महोत्सव के दौरान तरह-तरह की activity हुई जिसमें छात्रों से लेकर बड़ों तक, हर कोई शामिल हुआ। कचरे का उपयोग करके अलग-अलग तरह की कलाकृतियाँ बनाई गईं। Waste management के सभी पहलूओं पर लोगों को शिक्षित करने के लिए workshop आयोजित किये गए। स्वच्छता के theme पर music performance हुई। Art work बनाए गए। रायपुर से प्रेरित होकर अन्य ज़िलों में भी अलग-अलग तरह के कचरा उत्सव हुए। हर किसी ने अपनी-अपनी तरफ से पहल करते हुए स्वच्छता को लेकर innovative ideas, share किये, चर्चाएं की, कविता पाठ हुए। स्वच्छता को लेकर एक उत्सव-सा माहौल तैयार हो गया। खासकर स्कूली बच्चों ने जिस तरह बढ़-चढ़ करके भाग लिया, वह अद्भुत था। Waste management और स्वच्छता के महत्व को जिस अभिनव तरीक़े से इस महोत्सव में प्रदर्शित किया गया, इसके लिए रायपुर नगर निगम, पूरे छत्तीसगढ़ की जनता और वहां की सरकार और प्रशासन को मैं ढ़ेरों बधाइयाँ देता हूँ।

    हर वर्ष 8 मार्च को ‘अन्तरराष्ट्रीय महिला-दिवस’ मनाया जाता है। देश और दुनिया में कई सारे कार्यक्रम होते हैं। इस दिन देश में ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से ऐसी महिलाओं को सत्कार भी किया जाता है जिन्होंने बीते दिनों में भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अनुकरणीय कार्य किया हो। आज देश women development से आगे women-led development की ओर बढ़ रहा है। आज हम महिला विकास से आगे महिला के नेतृत्व में विकास की बात कर रहे हैं। इस अवसर पर मुझे स्वामी विवेकानंद के वचन याद आते हैं। उन्होंने कहा था ‘the idea of perfect womanhood is perfect independence’- सवा-सौ वर्ष पहले स्वामी जी का यह विचार भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति के चिंतन को व्यक्त करता है। आज सामाजिक, आर्थिक जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की बराबरी की भागीदारी सुनिश्चित करना यह हम सबका कर्तव्य है, यह हम सबकी जिम्मेवारी है। हम उस परंपरा का हिस्सा है, जहाँ पुरुषों की पहचान नारियों से होती थी। यशोदा-नंदन, कौशल्या-नंदन, गांधारी-पुत्र, यही पहचान होती थी किसी बेटे की। आज हमारी नारी शक्ति ने अपने कार्यों से आत्मबल और आत्मविश्वास का परिचय दिया है। स्वयं को आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने ख़ुद को तो आगे बढाया ही है, साथ ही देश और समाज को भी आगे बढ़ाने और एक नए मुक़ाम पर ले जाने का काम किया है। आख़िर हमारा ‘New India’ का सपना यही तो है जहाँ नारी सशक्त हो, सबल हो, देश के समग्र विकास में बराबर की भागीदार हो। पिछले दिनों मुझे एक बहुत ही बढ़िया सुझाव किसी महाशय ने दिया था। उन्होंने सुझाव दिया था कि 8 मार्च, ‘महिला दिवस’ मनाने के भाँति- भाँति के कार्यक्रम होते हैं। क्या हर गाँव-शहर में जिन्होंने 100 वर्ष पूर्ण किये हैं ? ऐसी माताओं-बहनों का सम्मान का कार्यक्रम आयोजित हो सकता है क्या ? और उसमें एक लम्बे जीवन की बातें की जा सकती हैं क्या ? मुझे विचार अच्छा लगा, आप तक पहुँचा रहा हूँ। नारी शक्ति क्या कर सकती है, आपको ढ़ेर सारे उदाहरण मिलेंगे। अगर आप अगल-बगल में झाकेंगे तो कुछ-न-कुछ ऐसी कहानियाँ आपके जीवन को प्रेरणा देंगी। अभी-अभी झारखण्ड से मुझे एक समाचार मिला। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के अंतर्गत झारखण्ड में लगभग 15 लाख महिलाओं ने - यह आँकड़ा छोटा नहीं है। 15 लाख महिलाओं ने संगठित होकर एक माह का स्वच्छता अभियान चलाया। 26 जनवरी, 2018 से प्रारंभ हुए इस अभियान के अंतर्गत मात्र 20 दिन में इन महिलाओं ने 1 लाख 70 हजार शौचालयों का निर्माण कर एक नई मिसाल कायम की है। इसमें करीब 1 लाख सखी मंडल सम्मिलित हैं। 14 लाख महिलाएँ, 2 हजार महिला पंचायत प्रतिनिधि, 29 हजार जल-सहिया, 10 हज़ार महिला स्वच्छाग्रही तथा 50 हजार महिला राज मिस्त्री। आप कल्पना कर सकते हैं कि कितनी बड़ी घटना है! झारखण्ड की इन महिलाओं ने दिखाया है कि नारी शक्ति, स्वच्छ भारत अभियान की एक ऐसी शक्ति है, जो सामान्य जीवन में स्वच्छता के अभियान को, स्वच्छता के संस्कार को प्रभावी ढंग से जन-सामान्य के स्वभाव में परिवर्तित करके रहेगी।

भाइयो-बहनो, अभी दो दिन पहले मैं न्यूज़ में देख रहा था कि एलीफेंटा द्वीप के तीन गाँवों में आज़ादी के 70 वर्ष बाद बिजली पहुँची है और इसे लेकर वहाँ के लोगों में कितना हर्ष और उत्साह है। आप सब भलीभाँति जानते हैं, एलीफेंटा द्वीप, मुंबई से समुद्र में दस  किलोमीटर दूर है। यह पर्यटन का एक बहुत बड़ा और आकर्षक केंद्र है। एलीफेंटा की गुफाएँ, UNESCO के World Heritage हैं। वहाँ हर दिन देश-विदेश से बहुत बड़ी मात्रा में पर्यटक आते हैं। एक महत्वपूर्ण tourist destination है। मुझे यह बात जानकर हैरानी हुई कि मुम्बई के पास होने और पर्यटन का इतना बड़ा केंद्र होने के बावजूद, आज़ादी के इतने वर्षों तक एलीफेंटा में बिजली नहीं पहुँची हुई। 70 वर्षों तक एलीफेंटा द्वीप के तीन गाँव राजबंदर, मोरबंदर और सेंतबंदर, वहाँ के लोगों की ज़िन्दगी में जो अँधेरा छाया था, अब जाकर वह अँधेरा छँटा है और उनका जीवन रोशन हुआ है। मैं वहाँ के प्रशासन और जनता को बधाई देता हूँ। मुझे ख़ुशी है कि अब एलीफेंटा के गाँव और एलीफेंटा की गुफाएँ बिजली से रोशन होंगे। ये सिर्फ़ बिजली नहीं, लेकिन विकास के दौर की एक नयी शुरुआत है। देशवासियो का जीवन रोशन हो, उनके जीवन में खुशियाँ आएँ इससे बढकर संतोष और ख़ुशी का पल क्या हो सकता है।

मेरे प्यारे भाइयो-बहनो, अभी-अभी हम लोगों ने शिवरात्रि का महोत्सव मनाया। अब मार्च का महीना लहलहाते फसलों से सजे खेत, अठखेलियाँ करती गेंहूँ की सुनहरी बालियाँ और मन को पुलकित करने वाली आम के मंजर की शोभा - यही तो इस महीने की विशेषता है। लेकिन यह महीना होली के त्योहार के लिए भी हम सभी का अत्यंत प्रिय है। दो मार्च को पूरा देश होली का उत्सव हर्षोल्लास से मनाएगा। होली में जितना महत्व रंगों का है उतना ही महत्व ‘होलिका दहन’ का भी है क्योंकि यह दिन बुराइयों को अग्नि में जलाकर नष्ट करने का दिन है। होली सारे मन-मुटाव भूल कर एक साथ मिल बैठने, एक-दूसरे के सुख-आनंद में सहभागी बनने का शुभ अवसर है और प्रेम एकता तथा भाई-चारे का सन्देश देता है। आप सभी देशवासियों को होली के रंगोत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ, रंग भरी शुभकामनाएँ। यह पर्व हमारे देशवासियों के जीवन में रंगबिरंगी खुशियों से भरा हुआ रहे - यही शुभकामना। मेरे प्यारे देशवासियो, बहुत-बहुत धन्यवाद नमस्कार।

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अतुल तिवारी / हिमांशु सिंह

Saturday 24 February 2018

'कॅशलेस'ला प्रोत्साहन देण्यासाठी बाजार समित्यांमध्ये 'ई-नाम'

पुणे - बाजार समित्यांमध्ये कॅशलेस व्यवहारांना चालना देण्यात येणार आहे. यासाठी राज्यातील संपूर्ण बाजार समित्यांमध्ये "ई-नाम' योजना राबविण्याचा निर्णय घेतला आहे. या योजनेंतर्गत बाजार आवारात शेतीमालाचा ई-लिलाव करण्यात येणार आहे. पहिल्या टप्यात राज्यातील 30 आणि दुसऱ्या टप्यात तीस बाजार समितीमध्ये ही योजना राबविण्यात येणार आहे. पुण्यातही दुसऱ्या टप्प्यात राबविण्यात येणार आहे.

बाजार समित्यांमध्ये केंद्र सरकारच्या राष्ट्रीय कृषी बाजार (ई-नाम) या योजनेची अंमलबजावणी करण्याचा निर्णय राज्य सरकारने यापूर्वीच घेतला आहे. या योजनेच्या कामकाजाचा आढावा सहकार मंत्री सुभाष देशमुख यांनी घेतला. यावेळी कृषी पणन मंडळ, पणन संचालक, जिल्हा उपनिबंधक यांच्यासह साठ बाजार समितीचे सभापती व सचिव उपस्थित होते.

ई-नाम योजना बाजार समिती व शेतकऱ्यांच्या हिताची आहे. त्यामुळे या योजनेची अंमलबजावणी करणारे देशातील महाराष्ट्र राज्य हे पहिले ठरले पाहिजे. त्यासाठी राज्यातील सर्व बाजार समित्यांमध्ये यांची अंमलबजावणी तातडीने कशी करता येईल, या दृष्टीने प्रयत्न करावेत. ज्या बाजार समित्यांमध्ये चांगले काम चालते. त्यांना प्रोत्साहनपर बक्षीस देण्याचा तर ज्या बाजार समित्यांचे कामकाज समाधानकारक नाही, त्यांच्यावर कारवाई करावी, अशा सूचना यावेळी देशमुख यांनी दिल्या.

अंदमान समुद्रात २२ देशांच्या नौसेनांचा एकत्र सराव

 

येत्या ६ मार्च ते १३ मार्च या काळात अंदमान निकोबार समुद्रात सर्वात मोठा नौसेना युद्धाभ्यास होणार असून यात भारताबरोबर अन्य १७ देशांच्या नौसेना सामील होणार आहेत. पोर्टब्लेअर येथे होत असलेला हा युद्धाभ्यास इतिहासात प्रथमच इतक्या मोठ्या प्रमाणावर होत असल्याचे सांगितले जात आहे. हिंद महासागराला लागून सीमा असलेले २२ देश या सरावात त्यांच्या युद्धपोतांसह सामील होत असून यात पाकिस्तानचा समावेश नाही.

या सरावात नौसैनिक युद्ध, नैसर्गिक आपदा या विरोधात एकत्र येण्यासाठी आपसातील ताळमेळ वाढविण्याचे काम करणार आहेत. समुद्री क्षेत्रात बेकायदा होणाऱ्या हालचाली थांबविणे हाही या सरावामागचा उद्देश आहे असे समजते.

काय ! मोबाईलवरून डायरेक्ट प्रिंट पाठवायची ?

तुमच्या कुठे तरी वाचनात येते किंवा तुमचा एखादा टेक्नोसॅव्ही मित्र तुम्हाला सांगतो कि हल्लीचे स्मार्टफोन हे कॉम्पुटर प्रमाणे काम करु लागले आहेत. पुर्वी ज्या छोट्या छोट्या कामासाठी कॉम्पुटर शिवाय पर्याय नव्हता ते काम आता स्मार्टफोन करु लागले आहेत, जसे कि ईमेल करणे , छोटे-मोठे प्रेझेंटेशन करणे, डॉक्युमेंट स्कॅन करणे , आलेल्या ईमेल ला लगेच उत्तर देऊन वेळ वाचवणे किंवा ईमेल फॉरवर्ड करणे आदी. मग जोश जोश मध्ये तुम्हीही एक महागडा स्मार्टफोन खरेदी करता, त्यावर काम सुरुही करता,मात्र अचानक एके दिवशी काही कामानिमित्त एका आॅफीसमध्ये जावे लागते आणि त्याठिकानी तुम्हाला आलेल्या ईमेल चे प्रिंट हवे असते, इमेल तर तुमच्या स्मार्टफोन वर असतो मात्र त्याचे प्रिंट काढायचे कसे ? एक पर्याय म्हणजे तुमचा इमेल एखाद्या प्रिंटर जोडलेल्या काम्पुटर वर उघडने आणि प्रिंट करणे,दुसरा पर्याय म्हणजे सरळ तुमच्या आॅफीस मध्ये परत येऊन तुमच्या काम्पुटरवर इमेलचे आऊटपुट काढुन परत तुमच्या कामासाठी जाणे.तिसरा पर्याय म्हणजे तुमच्या एखाद्या सहकाऱ्याला तो इमेल फॉरवर्ड करणे आणि त्याला इमेलचे प्रिंट काढुन आणायला सांगने. मात्र वरीलपैकी एकही पर्याय आता तुम्हाला शक्य वाटत नाही अशा वेळी तुमच्या डोक्यात विचार येतो कि हा स्मार्टफोन येवढी सगळी कामे करतो मग याला प्रिंटच का काढता येऊ नये ?
निदान आज तुमचे काम तरी अडले नसते.आता मात्र तुमच्या या आर्त हाकेला गुगलच्या अण्ड्राईड ने ओ दिली आहे, होय , आता तुमच्या स्मार्टफोनवरुन तुम्ही थेट प्रिंटरला प्रिंट देऊ शकता.मात्र यासाठी तुमच्या स्मार्टफोन मध्ये अण्ड्राईडची लेटेस्ट आॅपरेटिंग सिस्टम असणे जरुरआहे.गुगलच्या क्लॉऊड प्रिंटींग या तंत्रज्ञानाचा वापर यासाठी करण्यात आला आहे.
काय आहे गुगल क्लाऊड प्रिंट तंत्रज्ञान?
गुगल क्लाऊड प्रिंट या तंत्रज्ञानामध्ये तुमचा प्रिंटर इंटरनेटला कनेक्ट करता येतो. या तंत्रज्ञानाचा वापर करून तुम्ही जगभरातून कुठूनही तुमच्या प्रिंटरवर प्रिंट पाठवू शकता, तसेच इतरांनाही तुमच्या प्रिंटरचा अ‍ॅक्सेस देऊ शकता. एवढेच काय तर तुम्ही तुमच्या प्रिंटरवर लॅपटॉप, टॅबलेट किं वा मोबाईलवरून जगभरातून प्रिंट पाठवू शकता. यासाठी तुम्हाला हवे फक्त जी-मेलचे अकाउंट.
गुगल क्लाऊड प्रिंट ही सेवा वापरण्यासाठी बाजारात क्लाऊड रेडी प्रिंटर्ससुद्धा उपलब्ध आहेत.
जर तुमचा प्रिंटर क्लाऊड रेडी नसेल तरी सुद्धा तुम्ही हा प्रिंटर गुगल क्लाऊड प्रिंट साठी वापरु शकता त्यासाठी तुम्हाला तुमच्या प्रिंटर कनेक्टेड असलेल्या काम्पुटरवर काही सेटिंग कराव्या लागतील. जसे गुगल क्रोम सेटिंगमध्ये जाऊ न शो अ‍ॅडव्हान्स सेटिंगवर क्लिक करा.त्यामध्ये गुगल क्लाऊड प्रिंट सेक्शनमध्ये साईन इन टू गुगल क्लाऊड प्रिंटवर क्लिक करा.त्यानंतर प्रिंटर कन्फर्मेशन मेसेज येतो. त्यावेळी खाली अ‍ॅड प्रिंटर्सला क्लिक करा.अ‍ॅड प्रिंटरला क्लिक केल्यानंतर तुमच्या कॉम्पुटर कनेक्टेड असलेले प्रिंटर तुमच्या जी-मेल अकाउंटला रजिस्टर होतात आणि यू आर रेडी टू स्टार्ट असा मेसेज येतो.त्यानंतर मॅनेज युवर प्रिंटरवर क्लिक केल्यानंतर तुमच्या कॉम्पुटर वर इन्स्टॉल असलेल्या प्रिंटरची यादीच तुमच्यासमोर येते.त्यानंतर तुम्हाला हव्या प्रिंटरवर डबल क्लिक करा कि झाला तो प्रिंटर तुमच्या जी-मेल अकाउंटला इन्स्टॉल.
स्मार्टफोन वर काय सेटिंग कराल ?
सध्या बाजारात अनेक वाय-फाय प्रिंटर उपलब्ध आहेत तो जर तुमच्या कडे असेल तर त्याचे प्लग ईन तुमच्या स्मार्टफोन वर इंस्टॉल करावे लागेल उदा.एच पी प्रिंट सर्वीस प्लग इन किंवा इप्सन प्रिंट इनबलर आदी.हे प्लग इन गुगल प्ले वर उपलब्ध असतात.तुमच्या कडे ज्या कंपनीचा प्रिंटर असेल तो प्लग इन आॅन केला कि स्मार्टफोन तो प्रिंटर सर्च करेल. एकदा का प्रिंटर सर्च झाला कि तुम्ही त्यावर प्रिंट पाठऊ शकता.
स्मार्टफोनच्या सेटिंग मध्ये गेल्यावर सिस्टम या भागात प्रिंंटीग असे आॅप्शन आहे.यावर क्लिक केल्यावर क्लाऊड प्रिंट असे आॅप्शन दिसेल त्यावर क्लिक केल्यावर तुमच्या वाय-फाय नेटवर्क मध्ये असलेल्या प्रिंटरची लिस्ट तुम्हाला दाखवेल त्यापैकी ज्या प्रिंटर ला प्रिंट पाठवायची आहे तो सिलेक्ट करावा किंवा तुमच्या वर सांगितल्या प्रमाणे तुमच्या जी-मेल च्या अकांऊंट ला जो क्लाऊड प्रिंटर जोडला असेल त्यावर प्रिंट पाठवावी.
यामध्येच तुम्हाला आणखी एक आॅप्शन दिसेल ते म्हणजे सेव टु गुगल ड्राईव .या आॅप्शन चा वापर करुन तुमच्या स्मार्टफोन वरील फोटो,डाक्युमेंट किंवा इतर फाईल तुम्ही गुगल ड्राईव वर सेव करु शकता.

भारत के 'धनुष' बैलिस्टिक मिसाइल से नौसेना हुई और मजबूत

भारत ने शुक्रवार को नौसैनिक जहाज से न्यूक्लियर कैपेसिटी वाले धनुष बैलिस्टिक मिसाइल का सफल टेस्ट किया. ओडिशा तट के पास टेस्ट किए गए इस मिसाइल की मारक क्षमता 350 किलोमीटर है.

अधिकारियों ने बताया कि सतह से सतह पर मार करने वाली इस मिसाइल का टेस्ट सुबह करीब 10:52 बजे बंगाल की खाड़ी में पारादीप के पास तैनात पोत से किया गया.

 धनुष मिसाइल 500 किलोग्राम पेलोड साथ लेकर जाने और जमीन और समुद्र में अपने लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है. ‘धनुष’ की खासियत

रक्षा बलों के सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने इसके टेस्ट को अंजाम दिया.

एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय नौसेना की स्ट्रैटेजिक कमांड फोर्स (एसएफसी) की ओर से ट्रेनिंग प्रैक्टिस के तहत मिसाइल टेस्ट किया गया. टेस्ट को पूरी तरह सफल करार देते हुए अधिकारियों ने कहा कि मिशन के सभी मकसद पूरे हुए. उन्होंने कहा कि टेस्ट और इसकी उड़ान के प्रदर्शन की निगरानी ओडिशा तट में रडार सुविधाओं और डीआरडीओ की टेलीमेट्री (दूरमापी) से की गई.

एक सिंगल स्टेज लिक्विड प्रोपेल्ड धनुष को रक्षा सेवाओं में पहले ही शामिल किया जा चुका है.

ये इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से विकसित 5 मिसाइलों में से एक है. सूत्रों ने बताया कि पिछला सफल टेस्ट 9 अप्रैल 2015 को हुआ था.

पासपोर्टच्या नियमांमध्ये बदल

वृत्तसंस्था बुधवार, 21 फेब्रुवारी 2018

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नवी दिल्ली - परराष्ट्र मंत्रालयाने पासपोर्ट काढण्याच्या नियमांमध्ये बदल केले असून, यामुळे पासपोर्ट काढणे सोपे होणार आहे. यामध्ये आई-वडिलांची माहिती, जन्म प्रमाणपत्र, विवाहित किंवा घटस्फोटितांसाठीच्या नियांमध्ये बदल करण्यात आले आहेत.

जन्म प्रमाणपत्र
ज्यांचा जन्म 26 जानेवारी 1989 किंवा त्यानंतर झाला, त्यांच्यासाठी जुन्या नियमांनुसार जन्माचे प्रमाणपत्र देणे अनिवार्य होते. नव्या नियमांनुसार यामध्ये बदल करण्यात आला आहे. आता कोणतीही स्थानिक ग्रामपंचायत, नगरपालिका, महानगरपालिका, जन्म-मृत्यू रजिस्ट्रार किंवा संबंधित प्राधिकरणाने नोंद केलेली जन्म तारीख वैध धरण्यात येईल. याशिवाय मान्यताप्राप्त शिक्षण मंडळाकडून जारी करण्यात आलेला शाळेचा दाखलाही ग्राह्य धरण्यात येईल. याशिवाय पॅन कार्ड, आधार किंवा इ-आधारच्या मदतीने देखील अर्ज करता येणार आहे. वाहन परवाना, मतदान कार्ड यांसारखे ओळखपत्र देखील वैध ठरणार आहे.

आई-वडिलांचे नाव देणे अनिवार्य नाही
नव्या नियमांनुसार, पासपोर्टच्या अर्जामध्ये आई किंवा वडिलांचे नाव देणे अनिवार्य नाही. अर्जदार आता कायदेशीर पालकाचे नाव देऊ शकतो. या नियमामुळे सिंगल पॅरेंट किंवा अनाथ व्यक्तींना दिलासा मिळाला आहे. याशिवाय साधू किंवा संन्यासी त्यांच्या आध्यात्मिक गुरुचे नाव देता येणे शक्य होणार आहे.

कॉलमची संख्या कमी केली
कॉलमची संख्या कमी करण्यात आली असून, ती 15 वरुन 9 करण्यात आली आहे. यामध्ये A, C, D, E, J आणि K कॉलम हटवण्यात आले आहेत.

प्रत सांक्षांकित करण्याच्या प्रक्रियेत बदल (अटेस्टेशन)
जुन्या नियमांनुसार, प्रत्येक कागद नोटरी, कार्यकारी मॅजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी न्यायिक मॅजिस्ट्रेट यांच्याकडून सांक्षांकित करणे बंधनकारक होते. आता अर्जदार एका साध्या कागदावर स्वयं घोषणापत्र (सेल्फ डिक्लेरेशन) देऊ शकतो.

विवाहित किंवा घटस्फोटित व्यक्ती
विवाह प्रमाणपत्राची अट रद्द करण्यात आली आहे. याशिवाय घटस्फोटित व्यक्तींना पती किंवा पत्नीचे नाव देण्याची गरज नाही.

अवनीने फायटर प्लेन उडवून रचला नवा इतिहास

वृत्तसंस्था

गुरुवार, 22 फेब्रुवारी 2018

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नवी दिल्ली - भारताच्या इतिहासात पहिल्यांदाच महिला फायटर पायलट अवनी चतुर्वेदी यांनी 'सुपरसॉनिक  फायटर जेट' हे फायटर विमान उडवून नवा इतिहास रचला. 19 फेब्रुवारी रोजी गुजराथच्या जामनगर एअरबेस वरुन त्यांनी मिग- 21 हे विमान उडविले. मिग-21 विमान हवेत उडवण्याचे प्राथमिक प्रशिक्षण दिल्यानंतर हवेतून हवेत आणि हवेतून जमिनीवर मारा करण्याचे प्रशिक्षण देण्यात येते. त्यानंतरच्या टप्प्यात चंद्रप्रकाशात आणि गडद काळोखातही विमान चालवण्याचे प्रशिक्षण वैमानिकांना देण्यात येते. हे प्रशिक्षण अत्यंत खडतर असते. अवनी जून 2016 पासून हे प्रशिक्षण घेतले आहे.

एका इंग्रजी वृत्तपत्रानं दिलेल्या माहितीनुसार, अशा प्रकारे फाटर विमान उडविण्यासाठी एका वैमानिकाच्या प्रशिक्षणासाठी जवळपास 15 कोटी खर्च येतो. इतिहासात पहिल्यांदाच महिलेने मिग-२१ हे विमान उडविले. या प्रशिक्षणादरम्यान महिला आहेत म्हणून त्यांना कोणत्याही प्रकारचे झुकते माप देण्यात आले नसल्याचेही स्पष्ट करण्यात आले आहे.

 

Tuesday 13 February 2018

संरक्षण मंत्रालयाची ७.४० लाख अॅसॉल्ट रायफल्सच्या खरेदीला मंजुरी

तिन्ही सैन्यदलांसाठी शस्त्रखरेदी

लोकसत्ता ऑनलाइन | Updated: February 13, 2018 7:24 PM

निर्मला सीतारामण

संरक्षण मंत्रालयाने ७.४० लाख अॅसॉल्ट रायफल्सच्या खरेदीला मंजुरी दिली आहे. लष्कर, नौदल आणि वायुसेना यातील सैनिकांसाठी या रायफल्स खरेदी केल्या जाणार आहेत. या संदर्भातल्या प्रस्तावाला मंगळवारी मंजुरी देण्यात आली. या रायफल्सची किंमत १२,२८० कोटी इतकी असल्याचे संरक्षण विभागाच्या अधिकाऱ्यांनी सांगितले आहे.

संरक्षण विभागाची एक बैठक संरक्षण मंत्री निर्मला सीतारामन यांच्या अध्यक्षतेखाली पार पडली त्याच बैठकीत हा निर्णय घेण्यात आला. १,८१९ कोटींच्या लाईट मशीन गन्सही विकत घेण्याचा निर्णय या बैठकीत घेण्यात आला. या बैठकीत स्नाईपर रायफल्सबाबतही चर्चा झाली. ५७१९ स्नाईपर रायफल्सच्या खरेदीलाही मंजुरी देण्यात आली आहे. या स्नाईपर रायफल्सची किंमत ९८२ कोटी रुपये असल्याचीही माहिती समोर आली आहे. ‘हिंदुस्थान टाइम्स’ने या संदर्भातले वृत्त दिले आहे.

7th Pay Commission : सरकार करू शकते मोठी घोषणा, इतका वाढवणार पगार

केंद्र सरकारच्या कर्मचा-यांसाठी एक आनंदाची बातमी अहे. मोदी सरकार लवकरच त्यांच्या पगारामध्ये घसघशीत वाढ करणार आहे. 

7th Pay Commission : सरकार करू शकते मोठी घोषणा, इतका वाढवणार पगार

महत्त्वाचे मुद्दे

  1. सरकार करू शकते मोठी घोषणा, इतका वाढवणार पगार
  2. ५० लाख केंद्रीय कर्मचा-यांना मिळणार याचा मोठा फायदा
  3. एप्रिल महिन्यात करू शकतं सरकार मोठी घोषणा
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नवी दिल्ली : केंद्र सरकारच्या कर्मचा-यांसाठी एक आनंदाची बातमी अहे. मोदी सरकार लवकरच त्यांच्या पगारामध्ये घसघशीत वाढ करणार आहे. एप्रिल २०१८ मध्ये अर्थमंत्री अरुण जेटली ही घोषणा करण्याची शक्यता आहे. ही घोषणा केल्यास याचा फायदा ५० लाख कर्मचाऱ्यांना होणार आहे.

किती वाढणार पगार?

सातव्या वेतन आयोगासाठी केलेल्या शिफारसीनुसार केंद्र सरकार सातवा वेतन आयोग लागू करण्याचे प्रयत्न करत आहे. अर्थमंत्री अरुण जेटली यांनी काही दिवसापूर्वी पगारवाढ करण्याचं आश्वासन दिलं होतं. जर आता पगारवाढीची घोषना झाली तर कर्मचाऱ्यांचा कमीत कमी २४००० रुपये होणार आहे. केंद्रीय कर्मचारी मॅट्रिक्स लेवल १-२मध्ये येतात. त्यामुळे त्यांचीच पगारवाढ होणार आहे. वाढलेला पगार एप्रिल महिन्यापासून येणार अशी शक्यता आहे.

काय आहे आता मागणी?

केंद्रीय कर्मचा-यांना सातवा वेतन आयोग लागू झाल्यास त्यांचा पगार कमीत कमी ७ हजार रूपये महिन्यांवरून १८ हजार रूपये महिना होणार आहे. तेच फिटमेंट फॅक्टर सुद्धा २.५७ टक्क्यांनी वाढेल. त्यासोबत जास्तीत जास्त पगार ९० हजार रूपयांहून वाढून २.५ लाख रूपये महिना होईल. सातव्या वेतन आयोगांच्या सिफारशींना कॅबिनेटने २९ जून २०१६ मध्येच मंजूरी दिली होती. आता केंद्रीय कर्मचारी मागणी करत आहेत की, त्यांचा पगार १८ हजार रूपये महिन्यांहून वाढवून २६ हजार रूपये करावा.

एकूण किती मिळणार वाढ?

बेसिक वेतनात १४.२७ टक्के आणि भत्यांमध्ये वाढ प्रस्तावित करण्यात आली आहे. त्यामुळे एकूण वाढ २३.६ टक्के मिळणार आहे. सातव्या वेतन आयोगाच्या शिफारशी स्वीकारल्यानंतर वेतन आणि निवृत्तीवेतनाचा सरकारवर अतिरिक्त १.०२ लाख कोटींचा भार पडणार आहे.

 

http://zeenews.india.com/marathi/india/7th-pay-commission-government-likely-to-announce-salary-hike-for-govt-employees-salary-to-be-increased-soon/411509

देशसेवा करण्याची सुवर्णसंधी, भारतीय नौदलात वेगवेगळ्या पदांसाठी भरती सुरु

नवी दिल्ली - भारतीय नौदलात भरती सुरु असून देशसेवा करण्याची सुवर्णसंधी आहे. वेगवेगळ्या पदांसाठी ही भरती काढण्यात आली आहे. अर्ज करणा-या उमेदवारांनी 60 टक्क्यांसोबत अभियांत्रिकीची पदवी मिळवलेली असणं अनिवार्य आहे. या पदांसाठी तेच उमेदवार अर्ज करु शकतात ज्यांचा जन्म 1 जुलै 1999 ते 2 जानेवारी 1994 दरम्यान झालेला आहे.

शैक्षणिक पात्रता- अभियांत्रिकी पदवी किंना त्यासमान पदवी मिळवलेली असल्यास तुम्ही अर्ज करु शकता.

पदांची संख्या - 19

कोणत्या पदांसाठी भरती सुरु आहे -
1. एअर ट्राफिक कंट्रोलर (Air Traffic Controller - ATC)
2. ऑब्झर्व्हर (Observer)
3. पायलट - एमआर (Pilot - MR)
4. पायलट - एमआरव्यतिरिक्त (Pilot - Other Than MR)

भरतीची जाहिरात निघालेली तारीख - 10-02-2018

अर्ज करण्यासाठी शेवटची तारीख - 04-03-2018

वयाची अट काय आहे -
उमेदवाराचा जन्म 2 जानेवारी 1994 ते 1 जानेवारी 1998 (ब्रांच 1) / 2 जानेवारी 1995 ते 1 जानेवारी 2000 (ब्रांच - 2,3,4) दरम्यान झालेला असावा.

निवड कशाप्रकारे केली जाणार ?
सर्व्हिस सिलेक्शन बोर्डातील (एसएसबी) मुलाखतीमधील प्रदर्शाननुसार उमेदवारांची निवड केली जाईल

पगार किती असेल ?
उप लेफ्टनंट - 56,100 - 1,10,700 /- रुपये
लेफ्टनंट - 61,300 - 1,20,900 /- रुपये
लेफ्टनंट कमांडर - 69,400 - 1,36,900 /- रुपये
कमांडर - 1,21,200 - 2,12,400 /- रुपये

Tuesday 6 February 2018

रियर एडमिरल अतुल आनंद, वीएसएम ने उप-नौसेना प्रमुख – विदेश सहयोग एवं आसूचना (एसीएनएस (एफसीआई) के रूप में पदभार ग्रहण किया

रियर एडमिरल अतुल आनंद, वीएसएम ने उप-नौसेना प्रमुख – विदेश सहयोग एवं आसूचना (एसीएनएस (एफसीआई) के रूप में एकीकृत मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय (नौसेना) में पदभार ग्रहण किया। उन्होंने 1988 में भारतीय नौसेना के कार्यकारी विभाग में कमीशण्ड अधिकारी के रूप ज्वाइन किया था।

वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और रक्षा सेवायें कमाण्ड एवं स्टॉफ कॉलेज, मीरपुर, बांग्लादेश एवं राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय, नई दिल्ली के छात्र रह चुके हैं और वे नौवहन एवं दिशा खोजने के विशेषज्ञ हैं। इसके अलावा उन्होंने यूएसए के हवाई द्वीप में स्थित एशिया पैसिफिक सेंटर फॉर सिक्योरिटी स्टडीज से रक्षा सहयोग में एक प्रतिष्ठित कोर्स भी किया है।

विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त एडमिरल ने नौसेना में अपनी सेवा के दौरान कई अहम कमाण्ड की जिम्मेदारी संभाली है जिसमें टॉरपीडो रिकवरी पोत आईएन टीआरवी ए72, मिसाइल नौका आईएनएस चातक, कॉरवेट आईएनएस खुखरी और विध्वंसक पोत आईएनएस मुंबई शामिल हैं। उन्होंने भारतीय नौसेना के पोत शारदा, रणविजय एवं ज्योति में नौवहन अधिकारी के रूप में भी सेवा दी है। इसके अलावा सी-हैरियर के दस्ते आईएनएएस 300 के दिशा अधिकारी एवं विध्वंसक पोत आईएनएस दिल्ली के एक्जक्यटिव ऑफिसर के रूप में भी काम किया है।

उनकी महत्वपूर्ण स्टॉफ नियुक्तियों में संयुक्त निदेशक स्टॉफ रिक्वायरमेंट, वेलिंगटन स्थित डिफेंस सर्विसेज स्टॉफ कॉलेज में डॉयरेक्टिंग स्टॉफ, निदेशक नौसेना ऑपरेशन्स, निदेशक नौसेना आसूचना (ऑप्स), प्रमुख निदेशक नेवल ऑपरेशन्स एवं प्रमुख निदेशक, रणनीति, कॉन्सेप्ट्स एवं ट्रॉंसफॉर्मेशन के रूप में भी काम किया है।

इसके अलावा वह याटिंग असोसिएशन ऑफ इंडिया (वाईएआई) के मानद महासचिव भी हैं।      

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वीके/केटी/सीएल– 6547