Saturday 30 December 2017

तड़प-तड़प कर मर गई कारगिल शहीद की विधवा, अस्पताल मांगता रहा आधार

तड़प-तड़प कर मर गई कारगिल शहीद की विधवा, अस्पताल मांगता रहा आधार

तड़प-तड़प कर मर गई कारगिल शहीद की विधवा, अस्पताल मांगता रहा आधार

बीमार मां को अस्पताल लेकर पहुंचा शहीद का बेटा गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन निजी अस्पताल आधार की जिद पर अड़ा रहा।

सोनीपत (जेएनएन)। अगर आपके पास आधार कार्ड की मूल प्रति नहीं है तो हो सकता है डॉक्टर आपका इलाज ही नहीं करें। आप मोबाइल में आधार कार्ड की कॉपी रखे रहें, उसका नंबर भी सही हो लेकिन अस्पताल प्रबंधन उसे मानेगा नहीं। कम से कम यहां तो बृहस्पतिवार को यही हुआ।

एक मरीज को सिर्फ इसलिए अस्पताल प्रबंधन ने भर्ती नहीं किया, क्योंकि उसके पास आधार कार्ड की मूल प्रति नहीं थी। इलाज के अभाव में दम तोड़ देने वाली महिला कारगिल शहीद की विधवा थीं।

बीमार मां को अस्पताल लेकर पहुंचा शहीद का बेटा गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन निजी अस्पताल का प्रबंधन आधार कार्ड जमा करवाने पर अड़ा रहा। आधार कार्ड की कॉपी मोबाइल में दिखाने के बावजूद वे नहीं माने।

महलाना गांव निवासी लक्ष्मण दास कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। उनकी पत्नी शकुंतला कई दिनों से बीमार थीं। बेटा पवन कई अस्पतालों में उन्हें लेकर गया था। बाद में जब शहर स्थित आर्मी कार्यालय में गया तो वहां उन्हें पैनल में शामिल शहर के निजी अस्पताल ले जाने को कहा गया।

पवन मां को लेकर अस्पताल में पहुंचे तो वहां उनसे आधार कार्ड मांगा। पवन ने मोबाइल में मौजूद आधार कार्ड का फोटो दिखाया व आधार कार्ड नंबर बताया मगर अस्पताल प्रबंधन नहीं पसीजा और पुलिस बुला ली।

पुलिस भी बेटे को ही धमकाने लगी। मां की लगातार बिगड़ती हालत देख परेशान बेटा दूसरे अस्पताल भागा लेकिन शहीद की पत्नी ने दम तोड़ दिया।

पवन का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने उसकी मां का इलाज करने के बजाय उसे बाहर निकालने के लिए पुलिस बुला ली।

अस्पताल प्रबंधन भी मान रहा है कि मौके पर पुलिस बुलाई गई थी। हालांकि, उनका कहना है कि युवक को हंगामा करता देख पुलिस बुलाई गई थी।

पवन का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उनकी सुनने की बजाय उन्हें धमकाना शुरू कर दिया। अस्पताल में इलाज न होने पर हंगामा करते परिजन। हम इलाज करने के लिए तैयार थे लेकिन परिजन मरीज को इमरजेंसी वार्ड से बाहर ले गए।

दूसरे अस्पताल में ले जाते समय महिला की मौत हुई है। अस्पताल पर लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं। अस्पताल के अपने कुछ नियम कानून हैं, जिन्हें हमें मानना पड़ता है।

पेपर वर्क पूरा करना पड़ता है। कोई मरीज गंभीर हालत में है तो तुरंत उसे दाखिल किया जाता है, उसका इलाज शुरू किया जाता है।

इससे पहले 28 सितंबर को आधार की वजह से भूख से एक बच्ची की मौत हो गई थी। दरअसल, झारखंड के सिमडेगा जिले में 11 साल की लड़की कथित रूप से भूख से तड़प-तड़प कर मर गई।

आरोप है कि उसका परिवार राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं करा पाया था, जिसके चलते पिछले आठ महीने से उन्हें सस्ता राशन नहीं मिल रहा था। परिवार का कहना है कि संतोषी कुमारी नाम की इस लड़की ने 8 दिन से खाना नहीं खाया था।

 

By JP Yadav

Publish Date:Fri, 29 Dec 2017 09:16 AM (IST) | Updated Date:Sat, 30 Dec 2017 07:29 AM (IST)

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