Saturday 30 December 2017

मदरशांना अभ्यासक्रमात संस्कृतचा समावेश हवा

नागरी सेवा परीक्षांमध्ये संस्कृत हा जास्त मार्क मिळवून देणारा विषय म्हणून ओळखला जातो.

देहरादून | Updated: December 30, 2017 3:15 PM

Madrassa: मदरशांचा प्रमुख भर हा अरबी आणि फारसी या दोन भाषांवर असतो. मात्र, भविष्यात राज्य सरकार अभ्यासक्रमात संस्कृत भाषा समाविष्ट करण्याविषयी जो निर्णय घेईल त्याचे पालन मदरशांना करावे लागेल, असे यूएमईबीच्या अधिकाऱ्यांनी सांगितले.

उत्तराखंडमधील मदरशांच्या अभ्यासक्रमात संस्कृत भाषेचा समावेश करावा, अशी मागणी येथील मदरसा वेल्फेअर सोसायटीने (एमडब्ल्यूएसयू) केली आहे. या उत्तराखंडमधील २०७ मदरसे एमडब्ल्यूएसयूच्या नियंत्रणाखाली आहेत. या मदरशांमध्ये तब्बल २५ हजार विद्यार्थी शिक्षण घेतात. या विद्यार्थ्यांना संस्कृत भाषा शिकता यावी, यासाठी एमडब्ल्यूएसयूने राज्य सरकारला अभ्यासक्रमात संस्कृत विषयाचा समावेश करण्याची विनंती केली आहे.

‘एमडब्ल्यूएसयू’चे अध्यक्ष सिबते नाबी यांनी म्हटले की, आम्ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत यांना पत्र पाठवून यासंबंधी विनंती केली आहे. केंद्र सरकारने काही वर्षांपूर्वी मदरशांमधील शिक्षणाचा दर्जा सुधारण्यासाठी ‘एसपीक्यूईएम’ ही योजना सुरू केली होती. जेणेकरुन मदरशांमधील विद्यार्थ्यांना विज्ञान, गणित, हिंदी, इंग्रजी, समाजशास्त्र या विषयांचे ज्ञान मिळेल. त्यामुळे या योजनेतंर्गत संस्कृत विषयाच्या शिक्षकांची भरती करण्याची परवानगी द्यावी, असे ‘एमडब्ल्यूएसयू’ने या पत्रात म्हटले आहे. या योजनेतंर्गत नोकरीवर ठेवण्यात येणाऱ्या शिक्षकांना केंद्र सरकारमार्फत वेतन दिले जाईल.

नागरी सेवा परीक्षांमध्ये संस्कृत हा जास्त मार्क मिळवून देणारा विषय म्हणून ओळखला जातो. याशिवाय, संस्कृत ही उत्तराखंडमधील अधिकृत भाषांपैकी एक आहे. त्यामुळे मदरशांमधील विद्यार्थ्यांनी संस्कृत शिकल्यास त्यांना आयुर्वेदिक आणि शल्यचिकित्सा (बीएएमएस) पदविकेच्या अभ्यासक्रमाला प्रवेश घेता येईल. त्यामुळेच आम्ही सरकारला मदरशांसाठी संस्कृत विषयाच्या शिक्षकांची भरती करण्याची विनंती केल्याचे सिबते नाबी यांनी सांगितले. याशिवाय, मदरशांमध्ये संस्कृत विषय शिकवला गेल्यास त्यामुळे समाजात सामाजिक ऐक्य आणि सलोख्याचा संदेश जाईल. ही सध्या काळाची गरज आहे. संस्कृत भाषा मुस्लिमांनी शिकू नये, असे कुठेही लिहून ठेवलेले नाही. सध्याच्या घडीला देशभरात ५००० असे मुसलमान आहेत की, ज्यांना चारही वेदांचे ज्ञान आहे व ते संस्कृत उत्तमप्रकारे बोलू शकतात.

https://www.loksatta.com/desh-videsh-news/uttarakhand-madrassa-body-wants-sanksrit-in-syllabus-1608967/

तड़प-तड़प कर मर गई कारगिल शहीद की विधवा, अस्पताल मांगता रहा आधार

तड़प-तड़प कर मर गई कारगिल शहीद की विधवा, अस्पताल मांगता रहा आधार

तड़प-तड़प कर मर गई कारगिल शहीद की विधवा, अस्पताल मांगता रहा आधार

बीमार मां को अस्पताल लेकर पहुंचा शहीद का बेटा गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन निजी अस्पताल आधार की जिद पर अड़ा रहा।

सोनीपत (जेएनएन)। अगर आपके पास आधार कार्ड की मूल प्रति नहीं है तो हो सकता है डॉक्टर आपका इलाज ही नहीं करें। आप मोबाइल में आधार कार्ड की कॉपी रखे रहें, उसका नंबर भी सही हो लेकिन अस्पताल प्रबंधन उसे मानेगा नहीं। कम से कम यहां तो बृहस्पतिवार को यही हुआ।

एक मरीज को सिर्फ इसलिए अस्पताल प्रबंधन ने भर्ती नहीं किया, क्योंकि उसके पास आधार कार्ड की मूल प्रति नहीं थी। इलाज के अभाव में दम तोड़ देने वाली महिला कारगिल शहीद की विधवा थीं।

बीमार मां को अस्पताल लेकर पहुंचा शहीद का बेटा गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन निजी अस्पताल का प्रबंधन आधार कार्ड जमा करवाने पर अड़ा रहा। आधार कार्ड की कॉपी मोबाइल में दिखाने के बावजूद वे नहीं माने।

महलाना गांव निवासी लक्ष्मण दास कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। उनकी पत्नी शकुंतला कई दिनों से बीमार थीं। बेटा पवन कई अस्पतालों में उन्हें लेकर गया था। बाद में जब शहर स्थित आर्मी कार्यालय में गया तो वहां उन्हें पैनल में शामिल शहर के निजी अस्पताल ले जाने को कहा गया।

पवन मां को लेकर अस्पताल में पहुंचे तो वहां उनसे आधार कार्ड मांगा। पवन ने मोबाइल में मौजूद आधार कार्ड का फोटो दिखाया व आधार कार्ड नंबर बताया मगर अस्पताल प्रबंधन नहीं पसीजा और पुलिस बुला ली।

पुलिस भी बेटे को ही धमकाने लगी। मां की लगातार बिगड़ती हालत देख परेशान बेटा दूसरे अस्पताल भागा लेकिन शहीद की पत्नी ने दम तोड़ दिया।

पवन का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने उसकी मां का इलाज करने के बजाय उसे बाहर निकालने के लिए पुलिस बुला ली।

अस्पताल प्रबंधन भी मान रहा है कि मौके पर पुलिस बुलाई गई थी। हालांकि, उनका कहना है कि युवक को हंगामा करता देख पुलिस बुलाई गई थी।

पवन का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उनकी सुनने की बजाय उन्हें धमकाना शुरू कर दिया। अस्पताल में इलाज न होने पर हंगामा करते परिजन। हम इलाज करने के लिए तैयार थे लेकिन परिजन मरीज को इमरजेंसी वार्ड से बाहर ले गए।

दूसरे अस्पताल में ले जाते समय महिला की मौत हुई है। अस्पताल पर लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं। अस्पताल के अपने कुछ नियम कानून हैं, जिन्हें हमें मानना पड़ता है।

पेपर वर्क पूरा करना पड़ता है। कोई मरीज गंभीर हालत में है तो तुरंत उसे दाखिल किया जाता है, उसका इलाज शुरू किया जाता है।

इससे पहले 28 सितंबर को आधार की वजह से भूख से एक बच्ची की मौत हो गई थी। दरअसल, झारखंड के सिमडेगा जिले में 11 साल की लड़की कथित रूप से भूख से तड़प-तड़प कर मर गई।

आरोप है कि उसका परिवार राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं करा पाया था, जिसके चलते पिछले आठ महीने से उन्हें सस्ता राशन नहीं मिल रहा था। परिवार का कहना है कि संतोषी कुमारी नाम की इस लड़की ने 8 दिन से खाना नहीं खाया था।

 

By JP Yadav

Publish Date:Fri, 29 Dec 2017 09:16 AM (IST) | Updated Date:Sat, 30 Dec 2017 07:29 AM (IST)

तड़प-तड़प कर मर गई कारगिल शहीद की विधवा, अस्पताल मांगता रहा आधार

तड़प-तड़प कर मर गई कारगिल शहीद की विधवा, अस्पताल मांगता रहा आधार

तड़प-तड़प कर मर गई कारगिल शहीद की विधवा, अस्पताल मांगता रहा आधार

बीमार मां को अस्पताल लेकर पहुंचा शहीद का बेटा गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन निजी अस्पताल आधार की जिद पर अड़ा रहा।

सोनीपत (जेएनएन)। अगर आपके पास आधार कार्ड की मूल प्रति नहीं है तो हो सकता है डॉक्टर आपका इलाज ही नहीं करें। आप मोबाइल में आधार कार्ड की कॉपी रखे रहें, उसका नंबर भी सही हो लेकिन अस्पताल प्रबंधन उसे मानेगा नहीं। कम से कम यहां तो बृहस्पतिवार को यही हुआ।

एक मरीज को सिर्फ इसलिए अस्पताल प्रबंधन ने भर्ती नहीं किया, क्योंकि उसके पास आधार कार्ड की मूल प्रति नहीं थी। इलाज के अभाव में दम तोड़ देने वाली महिला कारगिल शहीद की विधवा थीं।

बीमार मां को अस्पताल लेकर पहुंचा शहीद का बेटा गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन निजी अस्पताल का प्रबंधन आधार कार्ड जमा करवाने पर अड़ा रहा। आधार कार्ड की कॉपी मोबाइल में दिखाने के बावजूद वे नहीं माने।

महलाना गांव निवासी लक्ष्मण दास कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। उनकी पत्नी शकुंतला कई दिनों से बीमार थीं। बेटा पवन कई अस्पतालों में उन्हें लेकर गया था। बाद में जब शहर स्थित आर्मी कार्यालय में गया तो वहां उन्हें पैनल में शामिल शहर के निजी अस्पताल ले जाने को कहा गया।

पवन मां को लेकर अस्पताल में पहुंचे तो वहां उनसे आधार कार्ड मांगा। पवन ने मोबाइल में मौजूद आधार कार्ड का फोटो दिखाया व आधार कार्ड नंबर बताया मगर अस्पताल प्रबंधन नहीं पसीजा और पुलिस बुला ली।

पुलिस भी बेटे को ही धमकाने लगी। मां की लगातार बिगड़ती हालत देख परेशान बेटा दूसरे अस्पताल भागा लेकिन शहीद की पत्नी ने दम तोड़ दिया।

पवन का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने उसकी मां का इलाज करने के बजाय उसे बाहर निकालने के लिए पुलिस बुला ली।

अस्पताल प्रबंधन भी मान रहा है कि मौके पर पुलिस बुलाई गई थी। हालांकि, उनका कहना है कि युवक को हंगामा करता देख पुलिस बुलाई गई थी।

पवन का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उनकी सुनने की बजाय उन्हें धमकाना शुरू कर दिया। अस्पताल में इलाज न होने पर हंगामा करते परिजन। हम इलाज करने के लिए तैयार थे लेकिन परिजन मरीज को इमरजेंसी वार्ड से बाहर ले गए।

दूसरे अस्पताल में ले जाते समय महिला की मौत हुई है। अस्पताल पर लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं। अस्पताल के अपने कुछ नियम कानून हैं, जिन्हें हमें मानना पड़ता है।

पेपर वर्क पूरा करना पड़ता है। कोई मरीज गंभीर हालत में है तो तुरंत उसे दाखिल किया जाता है, उसका इलाज शुरू किया जाता है।

इससे पहले 28 सितंबर को आधार की वजह से भूख से एक बच्ची की मौत हो गई थी। दरअसल, झारखंड के सिमडेगा जिले में 11 साल की लड़की कथित रूप से भूख से तड़प-तड़प कर मर गई।

आरोप है कि उसका परिवार राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं करा पाया था, जिसके चलते पिछले आठ महीने से उन्हें सस्ता राशन नहीं मिल रहा था। परिवार का कहना है कि संतोषी कुमारी नाम की इस लड़की ने 8 दिन से खाना नहीं खाया था।

 

By JP Yadav

Publish Date:Fri, 29 Dec 2017 09:16 AM (IST) | Updated Date:Sat, 30 Dec 2017 07:29 AM (IST)

लोकमान्यांच्या सिंहगर्जनेला १०१ वर्षे पूर्ण

पुणे - लोकमान्य टिळक यांनी ‘स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळणारच’, ही सिंहगर्जना करून सामान्यांच्या मनातील ब्रिटिशांविरूद्धचा असंतोष जागा केला. या घोषणेला यंदा १०१ वर्षे पूर्ण होत आहेत. या निमित्ताने उत्तर प्रदेश सरकारने आयोजित केलेल्या विशेष कार्यक्रमात ‘सकाळ प्रकाशन’ प्रसिद्ध करीत असलेल्या अरुण तिवारी यांच्या ‘ए मॉडर्न इन्टरप्रिटेशन ऑफ लोकमान्य टिलक्‍स्‌ गीतारहस्य’ या पुस्तकाचे प्रकाशन होणार आहे.

पुणे - लोकमान्य टिळक यांनी ‘स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळणारच’, ही सिंहगर्जना करून सामान्यांच्या मनातील ब्रिटिशांविरूद्धचा असंतोष जागा केला. या घोषणेला यंदा १०१ वर्षे पूर्ण होत आहेत. या निमित्ताने उत्तर प्रदेश सरकारने आयोजित केलेल्या विशेष कार्यक्रमात ‘सकाळ प्रकाशन’ प्रसिद्ध करीत असलेल्या अरुण तिवारी यांच्या ‘ए मॉडर्न इन्टरप्रिटेशन ऑफ लोकमान्य टिलक्‍स्‌ गीतारहस्य’ या पुस्तकाचे प्रकाशन होणार आहे.

लखनौ येथील लोकभवनात शनिवारी (ता. ३०) सकाळी ११ वाजता आयोजित केलेल्या कार्यक्रमात उत्तर प्रदेशचे राज्यपाल राम नाईक हे या पुस्तकाचे प्रकाशन करतील. सांस्कृतिक संबंध वृद्धिंगत व्हावेत, या उद्देशाने उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र सरकारमध्ये सामंजस्य करारही होणार आहे. उत्तर प्रदेशचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा, संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना, महिला व बाल कल्याणमंत्री रिटा बहुगुणा जोशी, युवक कल्याण राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी, महाराष्ट्राचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस या वेळी उपस्थित राहणार आहेत.

भारताच्या स्वातंत्र्यलढ्यात योगदान दिलेले मंगल पांडे, तात्या टोपे, बहादूर शाह जफर, लोकमान्य टिळक, स्वातंत्र्यवीर सावरकर, भगतसिंग, अशफाक उल्ला खान, चंद्रशेखर आझाद, ठाकूर रोशन सिंह, रामकृष्ण खत्री, शचिंद्रनाथ बक्षी, दीनदयाळ उपाध्याय, उधमसिंह, महावीर सिंह, चापेकर बंधू, विष्णू पिंगळे, एस. आर. राणा, ठाकूर दुर्गा सिंह, राघव, सरयुशरण यांच्या वंशजांनाही याप्रसंगी सन्मानित करण्यात येणार आहे. लोकमान्य टिळक यांचे पणतू शैलेश टिळक आणि त्यांच्या पत्नी, पुण्याच्या महापौर मुक्ता टिळक यांच्यासह हुतात्मा विष्णू गणेश पिंगळे यांचे वंशज रवींद्र पिंगळे, हुतात्मा शिवराम हरी राजगुरू यांचे वंशज सत्यशील आणि हर्षवर्धन राजगुरू, हुतात्मा चापेकर बंधूंचे वंशज चेतन चापेकर, स्वातंत्र्यवीर सावरकर यांचे वंशज सात्यकी यांनाही या समारंभासाठी निमंत्रित केले आहे.

लोकमान्य टिळकांनी लखनौमध्ये ‘स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे’, ही घोषणा केली. त्याच शहरात हा ऐतिहासिक कार्यक्रम होत आहे. शाळा, महाविद्यालयांच्या विद्यार्थ्यांनाही उत्तर प्रदेश सरकारने या कार्यक्रमासाठी सहभागी करून घेतले आहे. त्यामुळे लोकमान्यांचे कार्य जनमानसात निश्‍चितच पोचेल, असा मला विश्‍वास आहे. महाराष्ट्राबाहेर लोकमान्यांच्या कार्याचा गौरव होताय, हे कौतुकास्पद असून उत्तर प्रदेश सरकारचे मी मनापासून आभार मानते.
- मुक्ता टिळक, महापौर, पुणे महापालिका

सकाळ वृत्तसेवा 07.11 AM

http://www.esakal.com/pune/pune-news-lokmanya-tilak-book-publish-89701

युद्धाचा भडका उडाला, तर - विजय नाईक

North Korea

जगातील कोणत्याही देशांदरम्यान पारंपरिक युद्ध झाल्यास त्याचे दूरगामी परिणाम प्रत्येक देशाला कोणत्या न कोणत्या रूपात भोगावे लागतात. बहुतेक युद्धांचा परिणाम खनिज तेलांच्या किमती गगनाला भिडण्यात होतो आणि बहुतेक देशांचे कंबरडे मोडते. आपल्या देशाचे उदाहरण घेतल्यास इराक, लीबिया, आखाती देश येथील युद्धांचा फटका नोकऱ्या शोधण्यासाठी तेथे गेलेल्या लाखो भारतीयांना बसला. त्यांना मायदेशी आणण्यासाठी मोदी सरकारला शिकस्त करावी लागली.

उत्तर कोरिया व अमेरिका यांनी एकमेकांना युद्धाच्या धमक्‍या देणे सुरूच ठेवल्याने जगभरात चिंतेचे वातावरण आहे. या दोन देशांदरम्यान खरेच अणुयुद्धाला तोंड फुटल्यास काय होईल? संभाव्य युद्धासाठी दक्षिण कोरिया व अमेरिकेने काय तयारी चालविली आहे याचा ऊहापोह आंतरराष्ट्रीय पातळीवर सध्या चालू आहे.

उत्तर कोरिया व अमेरिका यांच्यात गेले काही महिने जबरदस्त शब्द व धमकीयुद्ध सुरू आहे. त्याची चर्चा सर्वत्र असून, त्याची परिणती अणुयुद्धात होणार काय, ही चिंता जगाला भेडसावू लागली आहे. उत्तर कोरियाने क्षेपणास्त्र प्रगतीमुळे अमेरिकेच्या कोणत्याही भागात अण्वस्त्र डागण्याची क्षमता प्राप्त केली आहे. उत्तर कोरियाचे अध्यक्ष किम जोंग उन यांनी अमेरिकेला युद्धाची धमकी दिली आहे, तर अमेरिकेचे अध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प यांनी उत्तर कोरियाला बेचिराख करण्याचा इशारा दिला आहे. या संभाव्य युद्धाचे काय परिणाम होतील? किम जोंग उन यांना चीनचे अध्यक्ष शी जिनपिंग आवर घालू शकतील काय? युद्ध छेडल्यास त्याचे प्रशांत महासागरातील दक्षिण कोरिया, जपान, तैवान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूझीलंड, तसेच पूर्व व दक्षिण पूर्व आशियातील देशांवर कोणते गंभीर परिणाम होतील, आदी प्रश्‍नांचा आंतरराष्ट्रीय पातळीवर ऊहापोह चालू आहे. अंदाज बांधले जात आहेत. अमेरिकेत ट्रम्प सत्तेवर आल्यानंतर "डूम्स डे क्‍लॉक' (विनाशाची वेळ दर्शविणारे घड्याळ) मध्यरात्री (काळरात्र)कडे सरकण्यास केवळ अडीच मिनिटे उरली आहेत, असे दर्शविते. 1947मध्ये नोबेल पारितोषिकाच्या चौदा मानकऱ्यांनी ते तयार केले होते.

जगातील कोणत्याही देशांदरम्यान पारंपरिक युद्ध झाल्यास त्याचे दूरगामी परिणाम प्रत्येक देशाला कोणत्या न कोणत्या रूपात भोगावे लागतात. बहुतेक युद्धांचा परिणाम खनिज तेलांच्या किमती गगनाला भिडण्यात होतो आणि बहुतेक देशांचे कंबरडे मोडते. आपल्या देशाचे उदाहरण घेतल्यास इराक, लीबिया, आखाती देश येथील युद्धांचा फटका नोकऱ्या शोधण्यासाठी तेथे गेलेल्या लाखो भारतीयांना बसला. त्यांना मायदेशी आणण्यासाठी मोदी सरकारला शिकस्त करावी लागली. अजूनही त्यातून आपण पूर्णपणे बाहेर आलेलो नाही. इराकमध्ये अडकलेल्या चाळीस भारतीय कामगारांचा गेली दोन वर्षे पत्ता लागलेला नाही. सीरियातील युद्धामुळे लाखो लोकांनी जीव वाचविण्यासाठी तेथून पलायन केले. निर्वासितांच्या लोंढ्यांमुळे तुर्कस्तान व तमाम युरोप त्रस्त झाला. जर्मनीत अध्यक्ष अँजेला मर्केल यांचे पद जाताजाता वाचले. "इसिस'च्या दहशतवादाचे लोण जगातील अनेक देशांत पसरले, ते वेगळेच. भारतीय उपखंडाला युद्धाचा इतिहास असल्याने पाकिस्तान व चीनबाबत आपल्याला सतत दक्ष राहावे लागते. दुसरीकडे, अण्वस्त्रनिर्मितीला जोरदार विरोध करणारे दक्षिण कोरिया व जपान यांना किम जोंग उन याने युद्ध लादल्यास आपले काय होणार, ही चिंता सतावतेय. अण्वस्त्रनिर्मिती झटपट होत नसल्याने त्यांना अमेरिकेच्या सुरक्षाछत्राखाली राहण्याशिवाय पर्याय नाही. दुसरीकडे चोरट्या मार्गाने अण्वस्त्रे मिळविण्याचे प्रयत्न "इसिस'ने सोडलेले नाहीत.

सतरा डिसेंबर रोजी सिडनीमध्ये 59 वर्षीय चो हान छान या व्यक्तीला पोलिसांनी अटक केली. त्याच्यावर आरोप आहे, की तो उत्तर कोरियाला क्षेपणास्त्राची उपकरणे व जागतिक काळ्या बाजारात कोळसा विकण्याच्या तयारीत होता. यात इंडोनेशिया, व्हिएतनाम व काही अन्य देशांतील व्यक्ती, संघटनांचाही हात असल्याचा संशय आहे. चोई गेली तीस वर्षे ऑस्ट्रेलियात राहात असून, तो मूळचा दक्षिण कोरियाचा आहे. तो उत्तर कोरियाशी संपर्क साधून होता. सर्वसंहारक शस्त्रास्त्रांबाबत संयुक्त राष्ट्रसंघ व ऑस्ट्रेलियातील कायद्यांचे उल्लंघन केल्याने त्याला अटक झाली. त्यातून आणखी काय निष्पन्न होते, ते लवकरच प्रकाशात येईल.

उत्तर कोरिया व अमेरिका दरम्यान अणुयुद्ध झाल्यास काय होईल? दक्षिण कोरिया व अमेरिकेने काय तयारी चालविली आहे? काय अंदाज बांधले आहेत, याची माहिती दिली आहे, वॉशिंग्टनस्थित पत्रकार टोबी हार्नडेन यांनी. लंडनहून प्रसिद्ध होणाऱ्या "द संडे टाईम्स'मध्ये तीन डिसेंबर रोजी त्यांचा लेख प्रसिद्ध झाला. त्यानुसार, "पेन्टेगॉनमधील एका अधिकाऱ्याच्या मते, उत्तर व दक्षिण कोरियातील हजारो लोक मृत्युमुखी पडतील. जग अस्थिर होईल. अलीकडे उत्तर कोरियाच्या परराष्ट्र मंत्रालयाने ट्रम्प यांचे वर्णन "न्यूक्‍लियर डेमन' असे केले असून, "त्यांना अणुयुद्धाची खुमखुमी आली आहे,' असा आरोप केला आहे. दक्षिण कोरिया व अमेरिका यांचे प्रचंड युद्धसराव झाले. चीनने जोंग उन यांना लगाम घातला नाही, तर युद्धामुळे जोंग उन नेस्तनाबूत होईल. उत्तर कोरियाचे अंदाजे पन्नास लाख निर्वासित चीनमध्ये घुसतील. त्यांना आश्रय देण्याची जबाबदारी चीनवर येईल.

अमेरिकेची विमाने व क्षेपणास्त्रे प्रामुख्याने उत्तर कोरियातील क्षेपणास्त्र डागण्याची कार्यालये व क्षेपणास्त्रस्थळे (बंकर) नष्ट करतील. उत्तर कोरियाला नष्ट करण्यासाठी जोंग उन सीमेवरील लष्कराचा वापर करील. त्यामुळे ठार होणाऱ्या दक्षिण कोरियन लोकांची संख्या तीन लाखांपेक्षा कमी असेल, असे लष्करी विश्‍लेषकांचे मत आहे. दक्षिण कोरियातील सरकार पडले, तर "संयुक्त कोरिया'ची उभारणी करण्यास वॉशिंग्टन व सोल सिद्ध होतील. काही विश्‍लेषकांना वाटते की ट्रम्प यांना युद्ध आकर्षक वाटत असले, तरी कोरियन द्वीपकल्पातील गुंतागुतीचे राजकारण व परिस्थितीचे त्यांना नीटसे आकलन नाही. इराकमध्ये अमेरिकेची जी स्थिती झाली, तशी इथे होण्याची शक्‍यता टाळता येणार नाही. अमेरिकेच्या परराष्ट्र खात्यातील एका माजी ज्येष्ठ अधिकाऱ्याला वाटते, की कोणतेही पाऊल उचलण्याआधी जपान, दक्षिण कोरिया, तैवान, ऑस्ट्रेलिया या मित्रराष्ट्रांवर काय संकटे कोसळतील, याचा विचार ट्रम्प यांनी केला पाहिजे. कारण, दुसऱ्या महायुद्धात संहार झाला, त्यापेक्षाही अधिक संहार विद्यमान पिढीला अनुभवण्याचे अरिष्ट कोसळेल.

या चर्चेच्या मधेच, पाकिस्तानचे राष्ट्रीय सुरक्षा सल्लागार लेफ्टनंट जनरल नासेर खान जानजुवा यांनी गेल्या आठवड्यात भारताविरुद्ध अण्वस्त्रयुद्धाचा इशारा द्यावा, हा योगायोग समजायचा काय, की चीनशी हातमिळवणी करीत दक्षिण आशियाला अस्थिर करण्याचा पाकिस्तान व चीनचा संयुक्त डाव समजायचा? ""चीनच्या साह्याने पाकिस्तानमध्ये सुरू असलेल्या "सीपेक कॉरिडॉर' प्रकल्प हाणून पाडण्यासाठी भारत व अमेरिका यांनी हातमिळवणी केली आहे,'' असा आरोप त्यांनी केला आहे. त्यात अर्थातच तथ्य नाही.

विजय नाईक  : 08.06 AM

 

http://www.esakal.com/saptarang/vijay-naik-writes-about-north-korea-and-war-89705

Saturday 16 December 2017

जब 50 साल बाद IMA लौटे जांबाज, शहीदों को याद कर नम हुईं आंखें

ब्यूरो/अमर उजाला, देहरादून Updated Fri, 15 Dec 2017 11:37 PM IST

indian army officers returned to ima after 50 years for golden jubilee reunion

ima

भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में जब शुक्रवार को 50 साल बाद 1967 बैच के अधिकारी पहुंचे तो शहीदों को याद कर जांबाजों की आंखें नम हो गईं।

मौका था 40वें रेगुलर और 24वें तकनीकी एंट्री कोर्स की गोल्डन जुबली रियूनियन का। इस दौरान विभिन्न युद्धों में शहीए हुए अधिकारियों को श्रद्धांजली दी गई। वर्ष 1967 में पास आउट होने वाले इस बैच ने देश सेवा को समर्पित कई जांबाज अधिकारी दिए।
इनमें कैप्टन देवेंद्र अहलावत को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। इसके अलावा दो वीर चक्र, दो शौर्य चक्र और छह सेना मेडल भी बैच के अधिकारियों के नाम हैं। इस बैच ने नौ लेफ्टिनेंट जनरल दिए।
जिनमें एक इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ  के चीफ , एक वाइस चीफ  ऑफ  आर्मी स्टाफ , तीन सेना कमांडर, एक उप सेनाध्यक्ष और तीन विभिन्न विभागों के महानिदेशक शामिल हैं। इतना ही नहीं कोर्स के सदस्य जनरल केएस राव दुनिया भर में अपनी नौकाओं में प्रक्षेपण करने वाले पहले भारतीय थे।

वन रैंक-वन पेंशन के लिए तरस रही शहीद की पत्नी

 

नवल जोशी /अमर उजाला, चंपावत।  Updated Fri, 15 Dec 2017 10:13 PM IST

Wife of martyred longing for forest rank-one pension

लक्ष्मी देवी, शहीद प्रताप सिंह की धर्मपत्नी

पाकिस्तान के साथ 1971 में हुए युद्ध में कलीगांव के लांसनायक प्रताप सिंह ने अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन किया। 69 कुमाऊं आर्मी रेजीमेंट के जवान प्रताप सिंह ने महज 33 वर्ष की उम्र में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान किया, लेकिन शहीद की विधवा लक्ष्मी देवी (75) को अतिरिक्त सुविधाएं तो दूर, वन रैंक-वन पेंशन के लाभ के लिए भी भटकना पड़ रहा है।

15 दिसंबर 1971 को टैंक में विस्फोट होने से कलीगांव निवासी लांसनायक प्रताप सिंह शहीद हो गए थे। शहीद की पत्नी लक्ष्मी की उम्र तब महज 29 वर्ष की थी। उन्हें पति की शहादत की जानकारी सेना द्वारा कई हफ्ते बाद मिली। तबसे अब तक पूरे 46 साल तक इस वीरांगना ने अकेले दम पर परिवार की डोर संभाली। उनकी तीन बेटियां हैं।
सबसे बड़ी बेटी हीरा देवी मां लक्ष्मी देवी की सेवा के लिए अपने पति और परिवार सहित गांव में ही रहती हैं। लक्ष्मी देवी बताती हैं कि उन्हें शहादत की एवज में कुछ नहीं चाहिए, लेकिन उनका हक तो उन्हें मिलना ही चाहिए। सरकार ने वन रैंक-वन पेंशन का एलान करीब एक साल पहले किया, लेकिन इसके बावजूद अभी तक उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
वन रैंक-वन पेंशन के लिए विभागीय स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं। पेंशन से संबंधित शिकायत आने पर संबंधित रिकार्ड कार्यालय भेजा जाता है। जहां से मामले का निस्तारण किया जाता है।


- रि. कर्नल, वीएस थापा, जिला पूर्व सैनिक कल्याण अधिकारी।

Friday 15 December 2017

अब टोल पर मिलेगा सेना के जवानों को सम्मान

नई दिल्ली. भारतीय सेना के जवानों को सम्मान देने के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने नया तरीका इज्जत किया है. इसके लिए उन्होंने अब टोल प्लाजा के स्टाफ के लिए एक नया निर्देश जारी किया है. NHAI ने टोल प्लाजा पर काम कर रहे अपने स्टाफ को ये निर्देश दिया है कि वे लोग टोल से निकलने वाले सेना के सभी जवानों को खड़े होकर सलामी देंगे. जारी निर्देश में कहा गया है कि जवान देश की सेवा करते हैं जिसके लिए उनका सम्मान होना चाहिए.

खबर के मुताबिक इस तरह के फैसले के पीछे एक बड़ा कारण था. हाल ही में सेना के कुछ जवानों की तरफ से शिकायत मिली थी कि टोल प्लाजा पर कर्मचारी उनसे बदतमीजी से बात करते हैं और कई बार तो आईडी कार्ड दिखाने के बाद भी सेना में होने का कोई और सबूत मांगने लगते हैं. सशस्त्र बल का जवान अगर वर्दी में हो तो उसे टोल नहीं देना होता, बावजूद इसके उनसे टोल देने को कहा जाता था. लगातार मिल रही शिकायतों के चलते स्टाफ के लये निर्देश जारी किया गया.

इतना ही नहीं जारी निर्देश में यह भी कहा गया है कि जवानों के आईडी कार्ड की जांच करने का काम NHAI का सीनियर अधिकारी करेगा ना कि सबसे निचले स्तर का स्टाफ. निर्देश के अनुसार सभी टोल ऑपरेटरों को ट्रेनिंग दी जाएगी, इसके लिए पर्यटन मंत्रालय और होटल मैनेजमेंट संस्थानों की मदद ली जाएगी. जारी सर्कुलर में कहा गया है कि सशस्त्र बल के जवानों को टोल प्लाजा पर अधिक आदर और सम्मान मिलना चाहिए.

https://www.newstracklive.com/news/nhai-circular-to-staff-salute-soldiers-when-they-pass-by-toll-plaza-main-national-news-creur--1182011-1.html

Thursday 14 December 2017

Soldiers to get salute at toll plazas

Pune: Now, soldiers will be given a salute or standing ovation at the toll plazas while on the move. All personnel of the armed forces are exempted from paying toll tax while on official duty.

After getting complaints of rude behaviour meted out to soldiers by toll plazas staffs, last week, the National Highways Authority of India (NHAI) issued a policy circular stating, “The armed forces personnel deserve the highest regard and should be given due respect at the toll plaza including salute or standing ovations as deemed fit.”

The circular dated December 6 is issued by NHAI General Manager (IT & HO) Shailesh Yadav. “A lot of complaints are received from armed forces personnel that toll plazas agencies are not honouring the directions of the Ministry of Road Transport and Highways (MoRTH) and are not allowing exemption from toll fee while discharging their official duty. In-spite of personnel/ officers showing their identity card and explaining that they are on official duty, toll plaza employees often use harsh languages and ask for further proof,” the circular noted.

Taking note of the complaints, the NHAI also ordered that only a competent authority or officer of the toll operating agency, and not the lower staff, can check the identity cards in case of any doubt.

“Considering the unparalleled service of armed forces towards the safety and security of the country, such type of rude behaviour is not acceptable. The toll plaza agencies are directed to train the toll operating staff accordingly to pay due respect to armed forces/ salute their selfless dedication to country. The verification of I-card of armed forces personnel should be done by some senior/competent authority and not left to the untrained lowest staff,” the diktat ordered.

The Indian Tolls (Army & Air Force) Act, 1901, provides for exemption from toll charges to all members of the armed forces. However, the controversy occurred after a letter issued by the MoRTH said only those ‘on duty’ would be entitled to the exemption. This resulted in toll operators insisting defence personnel pay toll charges and this often led to misbehaviour by toll attendants. As the tussle between defence forces and the transport ministry escalated, the matter was dragged to court and later the Supreme Court (SC) also ruled in favour of the armed forces, upholding the exemption.

Now, the NHAI, while extending relief to the armed forces, has asked the toll operators that in case of any doubt, the benefit must be given to the defence persons.

“It is needless to emphasise that considering the extreme sacrifice of armed forces to the nation, in case of doubt with respect to nature of their official duty, a benefit of the doubt
should be given appropriately to armed force personnel,” it said.

Mubarak Ansari  : Esakal 13 Dec 2017

http://www.sakaltimes.com/nation/soldiers-get-salute-toll-plazas-10176

Salute the soldiers, government orders toll plaza staff in the country

A policy circular issued by the ministry instructs toll plaza staff to salute the soldiers or give them standing ovation when they pass the toll plaza.

Rakesh Ranjan  | Posted By Manas Joshi

New Delhi, December 13, 2017 | UPDATED 07:52 IST

There were complaints of boorish behaviour from toll staff

There were complaints of boorish behaviour from toll staff

Highlights

  • 1 There were complaints of boorish behaviour by the toll plaza staff.

  • 2 The ministry has instructed toll plaza staff to salute the soldiers or give them standing ovation when they pass.

  • 3 It says that the move is in response to the 'unparalleled service' of the defence personnel.

Defence personnel who complained of boorish behaviour by attendants at toll plazas across the country will now encounter a course correction. The soldiers will be given a salute or standing ovation at the road tax collection kiosks while on the move.

A policy circular issued by the National Highways Authority of India (NHAI) last week said the move is in view of the "unparalleled service" of defence personnel towards the country for which they deserve the highest regard and honour.

The circular came on the heels of complaints that soldiers were not only forced to pay toll charges but were also treated rudely by attendants. Personnel of the Army, Navy and Air Force have been exempted from paying at any toll plaza in the country.

However, members of the Territorial Army and NCC were entitled for exemption only when they were on duty. The defence forces had complained to the NHAI that despite explaining to the toll attendants that they were on official duty, they often used harsh language against the personnel and insisted on checking their identity cards.

Taking note of the complaints, the NHAI also ordered that only a competent authority or officer of the toll operating agency, and not the lower staff, can check the identity cards in case of any doubt. "Considering the unparalleled service of the armed forces towards the safety and security of the county, such kind of rude behaviour is not acceptable.

The armed forces personnel deserve the highest regards and should be given due respect at the toll plaza including salute and standing ovation as deemed fit," the circular issued by the highways authority said.

The NHAI has also directed toll operators to train their staff to pay due respect and salute the men in uniform for their "selfless dedication to the country".

"The verification of the identity cards of armed forces personnel should be done by some senior/competent authority and should not be left up to the untrained lowest staff," the circular reads.

The Indian Tolls (Army & Air Force) Act, 1901, provides for exemption from toll charges to all members of the armed forces. However, the controversy occurred after a letter issued by the ministry of road transport and highways (MoRTH) said only those "on duty" would be entitled for the exemption.

This resulted in toll operators insisting defence personnel to pay toll charges and this often led to misbehaviour by toll attendants. The armed forces claimed the letter was in contravention of the Indian Tolls Act.

The transport ministry also cited a noting of the law ministry that Section 3(b) of the Act only permits toll exemption to defence personnel who are "on duty". However, sources said the condition was only applicable to the Territorial Army and National Cadet Corps (NCC) personnel.

The government of India has exempted 15 categories, including dignitaries, from paying toll charges. These include the President, vice president, Prime Minister, chief justices and judges of the Supreme Court and high courts, governors and chief ministers, cabinet ministers, members of Parliament, MLAs and foreign dignitaries.

The exemption is also extended to the armed forces, paramilitary forces, gallantry award winners and emergency vehicles like ambulance and fire tenders. Recently physically challenged persons with more than 40 per cent handicap were also exempted from paying toll tax on highways. As the tussle between defence forces and the transport ministry escalated, the matter was dragged to court and later the SC also ruled in favour of the armed forces, upholding the exemption.

The NHAI, while extending relief to the armed forces, has told the toll operators that in case of any doubt, the benefit must be given to the defence persons.

"Considering the extreme sacrifices of the defence forces towards the nation, in case of any doubt with respect to nature of their official duty, the benefit of doubt must appropriately be given to the armed personnel," it said.

http://indiatoday.intoday.in/story/toll-staff-soldiers-salute/1/1108944.html

 

उत्पन्नमर्यादा आता आठ लाख

क्रिमिलेअरची उत्पन्नमर्यादा सहा लाखांवरून आठ लाख करण्याचा निर्णय घेतल्याचे निवेदन राज्य शासनाच्यावतीने ओबीसी विभागाचे मंत्री प्रा. राम शिंदे यांनी बुधवारी विधानसभेत केली. केंद्र सरकारने याबाबत निर्णय घेऊनही राज्याने हा निर्णय लागू केलेला नव्हता. त्यामुळे ओबीसी समाजात असंतोष होता. या मागणीसाठी संघटनांनी रेटाही लावला होता. या निर्णयाची अधिसूचनाही तातडीने काढावी, अशी मागणी आहे.
केंद्र शासनाच्या धर्तीवर राज्य शासनाने २४ जून २०१३च्या शासन निर्णयान्वये कुटुंबाची उत्पन्न मर्यादा साडेचार लाखांवरून सहा लाख एवढी केलेली होती. केंद्र शासनाने १३ सप्टेंबर २०१७च्या आदेशान्वये उत्पन्नाची ही मर्यादा सहा लाखांवरून आठ लाख एवढी केलेली आहे. याबाबत शासनाने केंद्र शासनाचे धर्तीवर राज्यातील विमुक्त जाती भटक्या जाती, इतर मागासवर्ग व विशेष मागासवर्गमधील उन्नत व प्रगत व्यक्ती/गट याकरिता उत्पन्नाची मर्यादा सहा लाखांवरून आठ लाख करण्याचा निर्णय घेण्यात आल्याचे निवेदनात नमूद आहे.
महाराष्ट्र शासनाने राज्य लोकसेवा अनुसूचित जाती, अनुसूचित जमाती, निरधीसूचित जमाती (विमुक्त जाती), भटक्या जमाती, इतर मागासवर्ग व विशेष मागासवर्ग यांच्यासाठी आरक्षण अधिनियम, २००१ (२००४च्या महाराष्ट्र अधिनियम क्र.८) अन्वये महाराष्ट्र राज्यातील विमुक्त जाती भटक्या जमाती, इतर मागासवर्ग व विशेष मागासवर्ग प्रवर्गामधील उन्नत व प्रगत व्यक्ती/गट वगळून आरक्षणाचे फायदे लागू करण्यात आलेले आहे, अशी माहितीही प्रा. राम शिंदे यांनी विधानसभेतील निवेदनात दिली.

केंद्र सरकारने नवी दिल्लीत राष्ट्रीय ओबीसी महासंघाच्या महाधिवेशनानंतर १३ सप्टेंबर रोजी ओबीसी क्रिमिलेअर उत्पन्न मर्यादावाढीचा निर्णय घेतला. त्यानुसार ही मर्यादा आठ लाख इतकी करण्यात आली होती. त्यानंतर राज्य शासनानेही त्यासंबंधीचा अध्यादेश काढणे अपेक्षित होते. क्रिमिलेअर उत्पन्न मर्यादेचा शासन निर्णय झाल्याशिवाय शुल्क प्रतिपूर्ती (फ्री-शिप) उत्पन्नाची अधिसूचना निघू शकत नाही. पण, राज्य शासनाने याविषयी निर्णय न घेतल्यामुळे ओबीसी समाज संभ्रमात होता. सामाजिक न्याय विभागाच्या ६ ऑक्टोबर २००३, १२ मार्च २००७, १७ जानेवारी २००८, ३ फेब्रुवारी २०१२ व १३ मार्च २०१२च्या शासन निर्णयानुसार शिक्षण शुल्क प्रतिपूर्तीची उत्पन्न मर्यादा ही क्रिमिलेअर उत्पन्न मर्यादेत असणे आवश्यक आहे.
प्रतिपूर्तीचाही विषय मार्गी लागावा
२७ मे २०१३ रोजी नॉन क्रिमिलेअरची मर्यादा साडेचार लाखावरून सहा लाख केल्यानंतर राज्याच्या सामाजिक न्याय विभागाने २४ जून २०१३ रोजी सहा लाखांचे परिपत्रक काढले होते. हाच आधार घेऊन सहसंचालक तंत्रशिक्षण विभागीय कार्यालयांनी प्रतिपूर्ती योजनेची मर्यादा वाढविली होती. परंतु सामाजिक न्याय विभागाने ३१ ऑगस्ट २०१३ रोजी नवे शासन परिपत्रक काढून प्रतिपूर्तीची मर्यादा साडेचार लाख रुपये ठेवण्याचाच खोडा घातला होता. ओबीसी संघटनांनी आंदोलन करून शासनाचे या मुद्याकडे लक्ष वेधले होते. सत्ताधारी पक्षातील नेत्यांनी हा मुद्दा प्रकर्षाने मांडला होता. राष्ट्रीय ओबीसी महासंघाने २०१६च्या पहिल्याच अधिवेशनात या मुद्यावर आवाज उठविला. त्यानंतर मुख्यमंत्र्यांनी २० ऑगस्ट २०१६ रोजी प्रतिपूर्ती योजनेची मर्यादा वाढ केली होती. आठ लाखांची मर्यादा वाढीच्या निर्णयानंतर आता शुल्क प्रतिपूर्तीचाही विषय मार्गी लागावा, अशी मागणी आहे.

PM dedicates INS Kalvari to the nation

The Prime Minister, Shri Narendra Modi, today dedicated the naval submarine INS Kalvari to the nation, at a function in Mumbai.

   Congratulating the people of India on this occasion, the Prime Minister described INS Kalvari as a prime example of "Make in India." He commended all those involved in its manufacture. He described the submarine as an excellent illustration of the fast growing strategic partnership between India and France. He said the INS Kalvari will add even more strength to the Indian Navy.

   The Prime Minister said that the 21st century is described as Asia's century. He added that it is also certain that the road to development in the 21st century goes through the Indian Ocean. That is why the Indian Ocean has a special place in the policies of the Government, he added.

   The Prime Minister said this vision can be understood through the acronym SAGAR - Security and Growth for All in the Region.

   The Prime Minister said India is fully alert with regard to its global, strategic and economic interests in the Indian Ocean. He said that is why the modern and multi-dimensional Indian Navy plays a leading role in promoting peace and stability in the region.

   He said the ocean's innate potential adds economic muscle to our national development. That is why, he added, India is well aware of the challenges such as sea-borne terrorism, piracy, and drug trafficking, that not just India, but other nations in the region also have to face. He said India is playing a key role in tackling these challenges.
He said India believes that the world is one family, and is fulfilling its global responsibilities. India has played the role of "first responder" for its partner countries, in times of crisis, he added. He said the human face of Indian diplomacy and Indian security establishment is our speciality. He said a strong and capable India has a vital role to play for humanity. He said countries of the world wish to walk with India on the path of peace and stability.

   The Prime Minister said that the entire ecosystem related to defence and security has started to change in the last three years. He said the skill-set accumulated during the manufacture of INS Kalvari is an asset for India.

   The Prime Minister said that the Government's commitment has ensured that the long pending issue of "One Rank One Pension" has been resolved.

   The Prime Minister said that the Government's policies and the bravery of the Armed Forces have ensured that the use of terrorism as a proxy war in Jammu and Kashmir has not been successful.

   The Prime Minister expressed his gratitude to all those who have dedicated their lives to the nation's security.

Wednesday 13 December 2017

Eligibility of Divorced Daughter of Armed Forces Personnel for Grant of Family Pension

As per Ministry of Defence (MoD) letter of September 2015, presently only those children who are dependent and meet other conditions of eligibility for family pension at the time of death of the Government servant or his/her spouse, whichever is later, are eligible for family pension. Accordingly, divorced daughters who fulfil other conditions are eligible for family pension if a decree of divorce had been issued by the competent court during the life time of at least one of the parents.

   The Government has been receiving grievances from various quarters that the divorce proceedings are a long drawn procedure which take many years before attaining finality. There are many cases in which the divorce proceedings of a daughter of a Government employee/pensioner had been instituted in the competent court during the life time of one or both but none was alive by the time the decree of divorce was granted by the competent authority.

   The matter has been examined and it has been decided vide Ministry of Defence letter dated 17 November 2017 to grant family pension to a divorced daughter of Armed Forces personnel in such cases where the divorce proceedings has been filed in a competent court during the life time of the employee/pensioner or his/her spouse but divorce took place after their death – provided that the claimant fulfils all other conditions for grant of family pension. In such cases, the family pension will commence from the date of divorce.

PIB : Government of India Ministry of Defence : 27-November-2017 18:22 IST 

http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=173892

आधार संख्या और पेन संख्या तथा फॉर्म 60 देने की अंतिम तिथि बढ़कर 31/03/2018 हुई

विभिन्न अभिवेदनों और बैंकों से प्राप्त जानकारी पर विचार करने के बाद आधार संख्या और पेन संख्या अथवा फॉर्म 60 जमा करने की आखिरी तारीख 31 मार्च, 2018 करने का फैसला किया गया है। इस संबंध में आवश्यक अधिसूचना जारी कर दी गई है।

इससे पहले कालेधन को सफेद में बदलने से रोकने के प्रावधानों (रिकॉर्डों के रख-रखाव) के अंतर्गत दूसरे संशोधन नियम, भारत के राजपत्र में 01/06/2017 को प्रकाशित हुए थे। इसमें व्यवस्था की गई थी कि

  • यदि कोई व्यक्ति आधार को दर्ज कराने के योग्य है और उसे पेन संख्या मिल जाती है और उसने प्रतिवेदन कंपनी के साथ खाता आधारित संबंधों को शुरू करने के वक्त आधार संख्या अथवा पेन संख्या जमा नहीं कराई है, तो वह व्यक्ति खाता आधारित संबंध शुरू होने की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर उसे जमा करा सकता है। बशर्ते वह व्यक्ति आधार के लिए दर्ज होने योग्य हो और उसके पास पेन संख्या हो और उसका अधिसूचना की तारीख से पहले प्रतिवेदन कंपनी के साथ खाता आधारित संबंध हो, वह व्यक्ति 31 दिसंबर, 2017 तक आधार संख्या और पेन संख्या जमा करा सकता है।
  • यदि व्यक्ति छह महीने की अवधि के भीतर आधार संख्या और पेन संख्या जमा कराने में विफल रहता है तो वह खाता तब तक संचालित नहीं कर सकता जबतक व्यक्ति द्वारा आधार संख्या और पेन संख्या जमा नहीं कराई जाती।

सैन्य कर्मियों की तलाकशुदा बेटियों को भी परिवारिक पेंशन की सुविधा मिलेगी, वैसी स्थिति में भी जब तलाक की अर्जी माता-पिता के जीवनकाल में ही दाखिल की गई हो

सितंबर 2015 में जारी रक्षा मंत्रालय के एक पत्र के अनुसार, वर्तमान में केवल उन्ही बच्चों को परिवारिक-पेंशन का पात्र माना जाता है जो माता-पिता पर आश्रित हैं और सरकारी कर्मचारी या उसकी पत्नी/पति के मृत्यु के समय अन्य शर्ते को पूरा करते हैं। इसी संदर्भ में, तलाकशुदा बेटियाँ परिवारिक-पेंशन के योग्य हैं जो अन्य शर्ते पूरा करती हों यदि सक्षम न्यायालय ने उनके माता व पिता में से किसी एक के जीवन काल में तलाक का निर्णय दिया हो।
सरकार को शिकायतें मिली है कि तलाक प्राप्त करने की कार्यवाही एक लम्बी प्रक्रिया है जिसके पूरे होने में कई वर्ष लग जाते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें सरकारी कर्मचारी/पेंशन भोगी की बेटी ने माता-पिता दोनों के या किसी एक के जीवित रहते ही तलाक की अर्जी सक्षम न्यायालय में दाखिल की थी लेकिन तलाक के अंतिम आदेश आने तक दोनों में से कोई भी जीवित नहीं था।
मामले की जाँच की गई और रक्षा मंत्रालय के पत्र दिनांक 17 नवंबर, 2017 के माध्यम से यह निर्णय लिया गया है कि सैन्य कर्मियों की उन बेटियों को, वैसे मामलों में पारिवारिक पेंशन की सुविधा दी जानी चाहिए जिसमें बेटियों ने सक्षम न्यायालय में माता-पिता के या दोनों में से किसी एक के जीवनकाल में या अपने पति/पत्नी के जीवित रहते ही तलाक की अर्जी दायर कर दी हो और तलाक का अंतिम आदेश उनकी मृत्यु के पश्चात् आया हो, बशर्ते कि दावेदार पारिवारिक पेंशन पाने के अन्य सभी शर्तों को पूरा करता हो। ऐसे मामलों में पारिवारिक पेंशन, तलाक का आदेश मिलने के दिन से लागू माना जाएगा।

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वीके/जेके/सीएल-5616

Monday 11 December 2017

Inauguration of Online Examination Web Portal of Indian Air Force by Hon'ble RRM

Today (11 Dec 2017)  morning Raksha Rajya Mantri Shri Subhash Bhamre inaugurated the online examination web portal of Indian Air Force at Air HQ (VB). Speaking on the occasion he congratulated the IAF for contributing towards the vision of 'Digital India' of the Prime Minister. He also congratulated IAF for developing the online examination system in collaboration with Centre for Development of Advanced Computing (C-DAC) thus also following the 'Make in India' and 'Design in India' philosophy of the Govt of India. Air Marshal SB Deo PVSM AVSM VM VSM ADC Vice Chief of the Air Staff along with other senior Air Force Officers were present during the inauguration.

IAF is the first amongst the three services to take up IT enabled Online Testing for induction in Officers and Airmen cadre. The proposal was approved in principle by Raksha Mantri on 24 Oct 16. In association with C-DAC, IAF is switching over to online testing wef January 2018 for which online registration will commence wef 15 Dec 17.

Selection system for Officers and Airmen cadre in the IAF has been continuously evolving and sustained efforts are in place to strengthen the testing system. Though the existing system is time tested and well proven, constraints of testing capacity and geographical reach were major limitations in according opportunity to all the deserving and eligible candidates from across the country especially to rural youth.

To improve upon the system and to make it more candidate friendly while enhancing organisational efficiency, a MoU was signed on 31 Oct 17 with C-DAC a Govt of India agency. The project will be implemented with effect from Jan 2018 for Air Force Common Admission Test (AFCAT) for Officer's cadre and Scheduled test for Airmen Recruitment (STAR) for Airmen cadre.

Earlier IAF had hundred plus centres pan India for Officer cadre exam and fourteen centres for Airmen selection exams. Certain states / UTs did not have any testing centre. Consequently, candidates had to spend considerable time and resources on travelling to the testing centres. In the new system, there would be about 760 examination centre's all over the country and the maximum distance a candidate would be required to travel now will be considerably less from the place of his/her residence. It will enable approximately four lakh candidates for Airmen selection and two lakh candidates for Officer's selection, to appear in the exam every six months.

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AB/BRB

Inauguration of Online Examination Web Portal of Indian Air Force by Hon'ble RRM

Today morning Raksha Rajya Mantri Shri Subhash Bhamre inaugurated the online examination web portal of Indian Air Force at Air HQ (VB). Speaking on the occasion he congratulated the IAF for contributing towards the vision of 'Digital India' of the Prime Minister. He also congratulated IAF for developing the online examination system in collaboration with Centre for Development of Advanced Computing (C-DAC) thus also following the 'Make in India' and 'Design in India' philosophy of the Govt of India. Air Marshal SB Deo PVSM AVSM VM VSM ADC Vice Chief of the Air Staff along with other senior Air Force Officers were present during the inauguration.

 

IAF is the first amongst the three services to take up IT enabled Online Testing for induction in Officers and Airmen cadre. The proposal was approved in principle by Raksha Mantri on 24 Oct 16. In association with C-DAC, IAF is switching over to online testing wef January 2018 for which online registration will commence wef 15 Dec 17.


Selection system for Officers and Airmen cadre in the IAF has been continuously evolving and sustained efforts are in place to strengthen the testing system. Though the existing system is time tested and well proven, constraints of testing capacity and geographical reach were major limitations in according opportunity to all the deserving and eligible candidates from across the country especially to rural youth.


To improve upon the system and to make it more candidate friendly while enhancing organisational efficiency, a MoU was signed on 31 Oct 17 with C-DAC a Govt of India agency. The project will be implemented with effect from Jan 2018 for Air Force Common Admission Test (AFCAT) for Officer's cadre and Scheduled test for Airmen Recruitment (STAR) for Airmen cadre.


Earlier IAF had hundred plus centres pan India for Officer cadre exam and fourteen centres for Airmen selection exams. Certain states / UTs did not have any testing centre. Consequently, candidates had to spend considerable time and resources on travelling to the testing centres. In the new system, there would be about 760 examination centre's all over the country and the maximum distance a candidate would be required to travel now will be considerably less from the place of his/her residence. It will enable approximately four lakh candidates for Airmen selection and two lakh candidates for Officer's selection, to appear in the exam every six months.

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AB/BRB

Sunday 10 December 2017

ओझर येथील ‘एचएएल’ला चाळीस ‘सुखोई-३०’ची ऑर्डर

नाशिक  (रविवार, 10 डिसेंबर 2017)

- ओझर येथील हिंदुस्थान एरोनॉटिक्‍स लिमिटेड कारखान्यात सुखोई-३० या लढाऊ विमानांचे काम पुढील दीड वर्षे पुरेल इतकेच असल्याने त्यानंतर कामे कमी होण्याची भीती व्यक्त केली जात आहे; परंतु केंद्र सरकार एवढे मोठे इन्फ्रास्ट्रक्‍चर वाया जाऊ देणार नाही. त्याचा पुरेपूर वापर करण्यासाठी पुढील ३० वर्षे पुरेल इतके सुखोई ओव्हर ऑइलिंगचे काम दिले जाणार आहे. त्याचबरोबर आणखी चाळीस सुखोई-३० विमाने तयार करण्याची ऑर्डरही ‘एचएएल’ला मिळेल, असे आश्‍वासन केंद्रीय संरक्षण राज्यमंत्री डॉ. सुभाष भामरे यांनी आज दिले.

ओझर टाउनशिपमधील किनो थिएटरमध्ये ‘मेक इन इंडिया’अंतर्गत राबविण्यात आलेल्या पब्लिक प्रायव्हेट पार्टनरशिप समीट-२०१७ मध्ये प्रमुख पाहुणे म्हणून ते बोलत होते. डॉ. भामरे म्हणाले, की संरक्षण क्षेत्रात नाशिकच्या ओझर येथील ‘एचएएल’ने आतापर्यंत ६५ टक्के उत्पादनाचा वाटा उचलला आहे. सध्या सुखोई-३० ही लढाऊ विमाने तयार करण्याचा शेवटचा टप्पा सुरू आहे. २०१९ पर्यंत सुखोईची कामे राहतील. त्यानंतर मात्र कामे मिळणार नसल्याची भीती कामगार, अधिकारीवर्गात आहे. पण पुढील ३० वर्षे सुखोईचे ओव्हर ऑइलिंगचे काम ओझर ‘एचएएल’मध्ये केले जाणार असल्याने कर्मचाऱ्यांनी भीती न बाळगण्याचे आवाहन त्यांनी केले.

आतापर्यंत आपण रशियाकडून तंत्रज्ञान घेऊन लढाऊ विमाने तयार करायचो; परंतु ‘मेक इन इंडिया’अंतर्गत नवउद्योजक तयार करण्यासाठी एचएएलने पब्लिक प्रायव्हेट पार्टनरशिपअंतर्गत उत्पादनाला सुरवात केली आहे.

आतापर्यंत संरक्षण क्षेत्रातील ४० टक्के कामे आउटसोर्सिंगने करून घेण्यात आली आहेत. देशांतर्गत कौशल्याला वाव देऊन रोजगारनिर्मिती करण्याचे सरकारचे उद्दिष्ट आहे. पब्लिक प्रायव्हेट पार्टनरशिपच्या माध्यमातून संरक्षण क्षेत्रात अधिकाधिक गुंतवणूक करून देशासाठी सहकार्य देण्याचे आवाहन त्यांनी उद्योजकांना केले. या वेळी एचएएलचे व्यवस्थापकीय संचालक टी. सुवर्णा राजू, सिमेलाचे सीईओ पी. जयपाल, एचएएलचे अतिरिक्त महासंचालक निर्मल थसय्याह आदी उपस्थित होते. ओझर मिग कॉम्प्लेक्‍सचे मुख्य कार्यकारी अधिकारी दलजित सिंग यांनी भविष्यात ‘पीपीटी’मधूनच कामे करताना उत्पादनाबरोबरच संशोधन व विकास क्षेत्रातही हाच फॉर्म्युला अमलात आणला जाणार असल्याचे सांगितले. या वेळी ‘सुखोई-३० एमकेआय’च्या बांधणीकरिता शंभरावा असेंब्ली पार्ट डायनामॅटिक टेक्‍नॉलॉजी लि.चे मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदयंत मल्होत्रा यांच्याकडून स्वीकारण्यात आला. ‘एचएएल’मुळे संरक्षण क्षेत्रात काम करण्याची संधी मिळाल्याचे श्री. मल्होत्रा यांनी सांगितले.

या वेळी संघटनेचे खजिनदार अविनाश कुलकर्णी, संघटक सचिव बाळासाहेब थोरात, उपाध्यक्ष सचिन माळोदे, यजुवेंद्र बरके, सहचिटणीस श्रीकांत पगार, प्रवीण गाढे, कार्यकारिणी सदस्य राहुल कोळपकर, सुधीर राजगुरू, कमलेश बनकर, सोमनाथ जाधव, मुकुंद क्षीरसागर, किशोर जाधव, रमेश कदम, विजय न्याहारकर आदी पदाधिकारी उपस्थित होते.

खासगी कंपन्यांना हेलिकॉप्टर निर्मितीचा परवाना
‘एचएएल’चे मुख्य व्यवस्थापकीय संचालक टी. सुवर्णा राजू यांनी भविष्यात भारतीय लष्कराला नागरी मोहिमांसाठी मोठ्या प्रमाणात लागणाऱ्या ‘एएलएच ध्रुव’ या हेलिकॉप्टर निर्मितीचा परवाना देशातील काही खासगी कंपन्यांना देणार असल्याचे सांगितले. ‘एएलएच ध्रुव’ या हेलिकॉप्टरचा वापर प्रामुख्याने कमी अंतराची प्रवासी वाहतूक, व्हीआयपी प्रवास, नैसर्गिक आपत्तीत शोध आणि बचाव मोहीम, तातडीची वैद्यकीय मदत पुरविणे यांसाठी भारतीय लष्कराला करता येईल, असे त्यांनी सांगितले.

ओझर प्रकल्प बंद पडणार नाही, काळजी नको
ब्रह्मोस क्षेपणास्त्र वाहून यशस्वी चाचणी करण्यात सुखोई-३० हे लढाऊ विमान यशस्वी ठरले आहे. त्यामुळे देशाला आणखी चाळीस सुखोई विमानांची गरज असल्याने ती तयार करण्याची ऑर्डर ‘एचएएल’ला मिळेल. तेजस हेलिकॉप्टरचे काम बेंगळुरू येथील प्रकल्पातून चालते. ते  शेअरिंग बेसिसवर ओझर येथील प्रकल्पातून सुरू करण्याचे नियोजन आहे. बेंगळुरू येथून हेलिकॉप्टरचे पार्ट ओझर येथे आणून जोडणी करण्याचे काम दिले जाणार असल्याने ओझर प्लांट बंद पडणार नाही, याची काळजी सरकार घेत असल्याचे डॉ. भामरे म्हणाले. लढाऊ हेलिकॉप्टर व हलक्‍या लढाऊ विमानांच्या पाचव्या आधुनिक आवृत्तीचे कामदेखील ओझर प्रकल्पात तयार करण्याचे आश्‍वासन त्यांनी दिले.

Saturday 9 December 2017

The WhatsApp number to register complaints

The army has set up a WhatsApp number for its soldiers to post their problems directly to Army Chief Gen Bipin Rawat instead of going to the social media directly.
The move came after a series of videos were posted online by personnel from the army, IAF and central police forces regarding various conditions that they work under.

The WhatsApp number to register complaints is -- +91 9643300008.
Officials said that that there is an existing system of grievance redressal within the army which is prompt. "But in case a soldier has exhausted all grievance redressal forums and is still not happy, he may contact the Army Chief's office through the new number," an official said.
However, many in the army are apprehensive about this move as they say that it will be impossible to keep out any unwarranted messages that can come on WhatsApp.
Since it is a common WhatsApp number, it will not be just the 1.3 million-strong Indian Army personnel who can send messages to the number but also anyone in the world.
And also, there will be no check on what kind of text, video or link will be sent to the number.

Friday 8 December 2017

CBDT extends date till 31.3.18 for linking of Aadhaar with PAN

Under the provisions of recently introduced section 139AA of the Income-tax Act, 1961 (the Act), with effect from 01.07.2017, all taxpayers having Aadhaar Number or Enrolment Number are required to link the same with Permanent Account Number (PAN). In view of the difficulties faced by some of the taxpayers in the process, the date for linking of Aadhaar with PAN was initially extended till 31st August, 2017 which was further extended upto 31st December, 2017.

It has come to notice that some of the taxpayers have not yet completed the linking of PAN with Aadhaar. Therefore, to facilitate the process of linking, it has been decided to further extend the time for linking of Aadhaar with PAN till 31.03.2018.

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DSM/SBS

सीबीडीटी ने आधार लिंक कराने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2018 तक बढ़ाई

हाल ही में लाए गए आयकर अधिनियम-1961 की धारा 139एए (01 जुलाई 2017 से प्रभावी) के तहत आयकरदाताओं को अपना आधार नंबर पैन नंबर (स्थायी खाता संख्या) से लिंक करना अनिवार्य है। कुछ आयकरदाताओं को अपना आधार नंबर पैन नंबर से लिंक करने में आ रही समस्याओं को ध्यान में रखते हुए लिंक कराने की अंतिम तिथि 31 अगस्त, 2017 तक बढ़ा दी गई थी। इसके बाद फिर से यह अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2017 तक बढ़ाई गई।

लेकिन यह नोटिस किया गया है कि अभी भी कुछ करदाताओं ने अपना पैन नंबर, आधार नंबर से लिंक नहीं किया है। ऐसे में इन्हें लिंक करने की अंतिम तिथि अब 31 मार्च, 2018 तक बढ़ा दी गई है।

Thursday 7 December 2017

लष्कराला राजकारणापसून दूर ठेवा - जनरल बिपिन रावत

नवी दिल्ली - येथे काल (बुधवार) झालेल्या एका कार्यक्रमात बोलताना लष्कर प्रमुख जनरल बिपिन रावत यांनी लष्कराला राजकारणापासून बाजूला ठेवणे आवश्यक असल्याचे म्हटले आहे.

यावेळी त्यांनी जून्या दिवसांची आठवण काढत, महिला आणि राजकारण या दोन विषयांवर संरक्षण दलामध्ये चर्चा होऊ नये, असा नियम पूर्वी होता. परंतु काळाच्या ओघात या गोष्टींनी शिरकाव असून, हे टाळणे आवश्यक असल्याचे मत बोलताना व्यक्त केले.

मुंबईत एलफिस्टन रेल्वे स्थानकावर झालेल्या चेंगराचेंगरीच्या पार्श्वभूमीवर लष्कराला पादचारी पूल बांधण्याची सूचना करण्यात आली होती. त्यावर बरीच टीका झाली. परंतु, पूर अथवा भूकंपासारख्या संघर्षाच्या परिस्थितीत नागरिकांना मदत करणे, याचा संरक्षण दलाच्या कामांमध्ये समावेश होतो, अशी माहिती त्यांनी यावेळी बोलताना दिली.