Sunday 8 January 2017

विदेश राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी.के.सिंह (सेवानिवृत्त) का युवा प्रवासी भारतीय दिवस के उद्घाटन सत्र में भारत के रूपांतरण में प्रवासी युवाओं की भूमिका पर संबोधन

सुरीनाम के उपराष्ट्रपति महामहिम माइकल अश्विन अधीन,

कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री सिद्दरमैया जी,

केंद्रीय युवा मामले एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री विजय गोयल जी,

प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में भाग ले रहे मेरे युवा मित्रों एवं शिष्टमंडल,

चार ‘भारत को जानिए‘ (नो इंडिया प्रोग्राम्स) कार्यक्रमों के युवा प्रवासी भारतीय,

राष्ट्रीय सेवा योजना के छात्र,

बेंगलूरु क्षेत्र के महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के छात्र

युवा प्रवासी भारतीय दिवस के उद्घाटन सत्र में उपस्थित होकर मैं बहुत प्रसन्न हूँ।

प्रारंभ में मैं आप सभी को इस नए वर्ष 2017 में प्रसन्नता, शांति एवं समृद्धि के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ।

बहुत समय पहले, आपके अग्रजों ने अपने स्वप्नों को पूरा करने के लिए अपने परिचित वातावरणों से खुद को अपदस्थ कर एक कठिन यात्रा की शुरूआत की थी। उनका अस्त्र केवल अपनी क्षमताओं में विश्वास था और उन्होंने सभी बाधाओं से लड़ते हुए अपने आस-पास की दुनिया को रूपांतरित कर दिया और स्वप्नों से वास्तविकताओँ का निर्माण किया।

वह समान धागा, एक अविनाशी तन्तु जो आप सभी को एक सूत्र में पिरोता है, वह है ऐसे देश के साथ एक स्थायी जुड़ाव, जिसका इतिहास पांच हजार वर्ष पुराना है, जिसकी समसामयिक वास्तविकता आपको एक अविश्वसनीय यात्रा पर ले जाती है और जिसका भविष्य आपके लिए अनंत संभावनाएं प्रस्तुत करता है। हम आपको अपना ही समझते हैं और जो हमारे पास है, उसका सर्वश्रेष्ठ आपको प्रस्तुत करते हैं।

आप चाहें रोमांचक पर्यटन की खोज कर रहे हों या किफायती गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की या टेक स्टार्टअप्स या यहां तक कि अभिनव उपयोगी उत्पादों के लिए एक बाजार की, भारत आपको असीम अवसर प्रस्तुत करता है। उदाहरण के लिए, बेंगलुरू अकेला ही ऐसे अनेक शैक्षणिक तथा अनुसंधान संस्थानों का केंद्र है। यह कई सक्रिय टेक स्टार्टअप्स का भी केंद्र है। देश भर के शहरों तथा नगरों में इसी प्रकार की सुविधाएं और अवसर उपस्थित हैं।

प्रवासी युवाओं को भारत में उपस्थित असीम अवसरों तथा संभावनाओं से परिचित कराने तथा उनकी कल्पना और सृजनशीलता को प्रेरित करने के लिए हमने कई कार्यक्रमों की शुरूआत की है।

नो इंडिया प्रोग्राम (केआईपी), जिसके जरिए आपमें से कई वर्तमान में भारत की यात्रा कर रहे हैं एक ऐसी ही योजना है जिसका लक्ष्य आपको भारत की महक से परिचित कराना तथा नीति निर्माताओं, उद्योग एवं सिविल सोसायटी के साथ परस्पर बातचीत के लिए एक मंच उपलब्ध कराना है। हमें उम्मीद है कि केआईपी के पूर्व छात्र एक दूसरे के साथ तथा हमारे साथ भी नए नेटवर्किंग प्लेटफॉर्मों के जरिए समेत संपर्क में रहेंगे।

प्रवासी बच्चों के लिए छात्रवृत्ति कार्यक्रम प्रवासी युवाओँ को भारतीय विश्वविद्यालय तथा संस्थानों में स्नातक पूर्व पाठ्यक्रमों को शुरू करने में सक्षम बनाता है। इस कार्यक्रम में अभी हाल में सुधार किया गया है तथा इसे 44 से 66 देशों तक विस्तारित कर दिया गया है : और छात्रवृत्तियों की संख्या भी बढ़ा दी गयी है। ऑनलाइन आवेदन एवं प्रोसेसिंग में सक्षम बनाने के लिए एक पोर्टल का भी निर्माण किया गया है।

भारत को जानिए (नो इंडिया) पहेली कार्यक्रम जिसे प्रधानमंत्री ने 2015 में गांधीनगर में पिछले प्रवासी भारतीय दिवस में युवा प्रवासी भारतीयों के लिए आरंभ किया था, एक ऐसी ही पहल थी जिसे बेशुमार प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। विजेताओं को इस वर्ष 02 अक्टूबर को गांधी जयंती पर प्रवासी भारतीय केंद्र के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री से पदक प्राप्त हुए।

युवा प्रवासी भारतीय दिवस जिसे हमने 2015 में आरंभ किया था, बदलाव लाने के लिए युवा प्रवासी भारतीयों की ताकत में हमारे विश्वास का एक अन्य प्रतिबिम्ब था।

मैं इस युवा प्रवासी भारतीय दिवस 2017 में चार टी के बारे में जिक्र करना चाहूँगा जिसके जरिए आप अपने जीवन तथा भारत को भी रूपांतरित कर सकते हैं। ये हैं :

· टैलेंट (प्रतिभा) : 2020 तक भारत में औसत आयु 29 की होगी जो कामकाजी आयु समूह में आबादी के 64 प्रतिशत के साथ इसे दुनिया का सबसे युवा देश बनाता है। प्रधानमंत्री का विजन भारत को 2022 तक दुनिया की कौशल राजधानी बना देगा। प्रतिभाओं या कौशलों को धार देने के लिए अवसंरचना की आवश्यकता पड़ती है जिसका निर्माण हम साझेदारों के रूप में एक साथ मिलकर कर सकते हैं।

· टेक्नोलॉजी (प्रौद्योगिकी) : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीयों की उपलब्धियों को दोहराए जाने की आवश्यकता नहीं है। सुपर कम्प्यूटर से लेकर अत्याधुनिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों तक; मंगल अभियान से चंद्रयान; अंटालटिक मिशन से सामुद्रिक अनुसंधान तक ऐसे कई बेहतरीन उदाहरण हैं। हमने हमेशा मानवीय पहलू के साथ प्रौद्योगिकी में विश्वास रखा है। ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्थाओं की कोई सीमा नहीं होती। आज विश्व पहले से ही एक डिजिटल गांव में बदल चुका है। प्रौद्योगिकी के साथ हम अपने जीवन को बटन के एक स्पर्श से बदल सकते हैं।

· ट्रेनिंग (प्रशिक्षण) : तेजी से बदलते प्रौद्योगिकी रूपांतरण के युग में अध्ययन एक निर्धारित आरंभ एवं अंत के साथ एक अकेली प्रक्रिया नहीं है बल्कि सतत् अध्ययन, विस्मरण एवं पुनः अध्ययन की एक निरंतर जारी प्रक्रिया है। हम इस पर एक दोतरफा प्रक्रिया के रूप में विचार करते हैं। ज्ञान बांटने से बढता है। हम पहले से ही आपको ऐसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण एवं शिक्षा की पेशकश करने के लिए तैयार है जिनमें हम अच्छी स्थिति में हैं और इसी प्रकार हम आपको आपकी दिलचस्पी के क्षेत्रों में आपकी विशेषज्ञता का अवसर प्रदान कर प्रसन्न होंगे। छात्र के रूप में घर से दूर रहना चुनौतीपूर्ण है। हमें छात्रों के लिए इसे सरल बनाने का प्रयास करना चाहिए जिससे कि वे उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित कर सकें – चाहे वें विदेशों में रहने वाले भारतीय छात्र हों, या एनआरआई छात्र हों या भारत में अन्य विदेशी छात्र हों।

· टीमवर्क (टीम भावना) : कोई देश कभी भी अकेला वैश्विक अच्छाई अर्जित नहीं कर सकता। इसके अतिरिक्त आज हम विश्व में जिन चुनौतियों का भी सामना करते हैं वे भी इतनी जटिल हैं कि कोई एक देश उनका समाधान नहीं कर सकता। हमें इसे महसूस करने की आवश्यकता है और एकजुट बने रहने की जरूरत है। हमें उन पुलों को, जो हमें जोड़ती हैं मजबूत बनाने और नए पुल का निर्माण करने की आवश्यकता है। हमने अपने विकास उद्देश्यों को अर्जित करने के लिए कई प्रमुख योजनाएँ शुरू की हैं। हमारा स्वप्न एक समृद्ध, कुशल, उद्यमी, स्वच्छ एवं प्रगतिशील भारत का है।

समापन करने से पूर्व मैं इस अवसर पर विदेश मंत्रालय की तरफ से युवा मामले तथा खेल मंत्रालय और कर्नाटक सरकार के प्रति इस समारोह को सम्भव बनाने के लिए कृतज्ञता प्रकट करना चाहूँगा।

धन्यवाद

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वीके/एसकेजे/डीए - 57

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